जयपुर. राजस्थान रोडवेज अनलॉक होने के बाद भी घाटे में जा रही है. लॉकडाउन से पहले रोडवेज की जो बसे खचाखच भर कर चला करती थी. उन्हें एक रूट पर 40 से 45 फीसदी यात्री ही मिल रहे हैं. यही वजह है कि 4300 बसों में से महज 1938 बसों का ही संचालन किया जा रहा है, जबकि निजी बस संचालक गाइडलाइन को फॉलो करते हुए कमाई करने में जुटे हुए हैं.
अनलॉक के दौरान भी राजस्थान रोडवेज को कोई यात्री नहीं मिल रहे हैं. जहां राजस्थान रोडवेज में लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों को अपने घर पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वहीं अब रोडवेज के अधिकारियों पर बड़े सवाल भी खड़े हो रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि राजस्थान रोडवेज के पास कुल 4300 बसें हैं, लेकिन निजी बस संचालकों को फायदा पहुंचाने के लिए रोडवेज प्रशासन के द्वारा मात्र 1938 बसे संचालित की जा रही हैं.
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वहीं रोडवेज बसों में अब भी सवारी नहीं मिल रही हैं. जिन रूट पर बसों को रोडवेज प्रशासन को चलाना चाहिए. उस रूट पर रोडवेज प्रशासन बसों को नहीं चला रहा. ऐसे में रोडवेज प्रशासन पर कई तरह के बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि रोडवेज प्रशासन यदि अपनी पूरी बसों को संचालित करता है, तो रोडवेज प्रशासन की आय में भी बढ़ोतरी होगी.
बता दें कि राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की ओर से अभी तक पूरी बसों को नहीं चलाया गया. इसके चलते रोडवेज के राजस्व को नुकसान हो रहा है. वहीं रोडवेज प्रशासन कर्मचारियों को बैठे तनख्वाह भी दे रहा है. ऐसे में रोडवेज प्रशासन को दोगुना नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. वहीं निजी बस संचालकों की बसें हर रूट पर चल रही हैं. ऐसे में रोडवेज की आय में नुकसान और निजी बस संचालक इसका फायदा भी उठा रहे हैं.
निजी बस संचालक कर रहे अपनी मनमानी
रोडवेज प्रशासन की मात्र 1938 बसों का संचालन होने से निजी बस संचालक इसका जमकर फायदा भी उठा रहे हैं. निजी बस संचालक पूरे प्रदेश भर में करीब 30000 बसों का संचालन कर रहे हैं. जिन रूटों पर रोडवेज की बसें नहीं जा पा रही हैं. उस रोड पर निजी बस संचालक जमकर सवारियों को भरकर ले जा रहे हैं.