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उत्कृष्ट खिलाड़ी की श्रेणी में नेशनल प्लेयर क्यों नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट - hc

न्यायाधीश आलोक शर्मा की एकलपीठ ने शीला बाई मीणा और ओमप्रकाश की याचिका पर सुनावई की. जिसमें दोनों की याचिका पर सुनवाई करते आदेश दिए.

राजस्थान हाईकोर्ट

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Published : May 18, 2019, 11:48 PM IST

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2018 के खेल कोटे में नेशनल प्लेयर को उत्कृष्ट खिलाड़ी नहीं मानने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक और जालौर डीईओ को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश आलोक शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश शीला बाई मीणा की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

उत्कृष्ट खिलाड़ी की श्रेणी में नेशनल प्लेयर क्यों नहीं: हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता खो-खो की राष्ट्रीय खिलाड़ी है. तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2018 में उसका चयन खेल कोटे में हो गया. वहीं उसे नियुक्ति के लिए जालोर जिला भी आवंटित किया गया. लेकिन जालोर डीईओ ने उसे यह कहते नियुक्ति से इनकार कर दिया कि वह नेशनल प्लेयर है, जबकि खेल कोटे में ओलंपिक या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल प्राप्त खिलाड़ी आते हैं. जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि यह प्रावधान राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय खिलाड़ियों के हितों के विपरीत है. ऐसे में राज्य सरकार की इस शर्त को हटाया जाए या उसमें शिथिलता देते हुए याचिकाकर्ता को नियुक्ति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.

चार सदस्य बोर्ड को 20 मई को पेश होने के आदेश
वहीं दूसरी तरफ राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में तकनीकी सहायक भर्ती को लेकर अभ्यर्थी की दिव्यांगता का परीक्षण करने वाले चार सदस्य बोर्ड को 20 मई को पेश होने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश ओमप्रकाश की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

चार सदस्य बोर्ड को 20 मई को पेश होने के आदेश

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता एवीवीएनएल में तकनीकी सहायक भर्ती 2016 में चयनित हुआ था. नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद उसे दिव्यांग बताते हुए नियुक्ति नहीं दी. इसे चुनौती देते हो देने पर हाईकोर्ट ने पूर्व में ऑर्थो सर्जन, जेवीवीएनएल के प्रतिनिधि और दिव्यांगों का पुनर्वास से जुड़े व्यक्ति का चार सदस्यीय बोर्ड गठित किया था. अवमानना याचिका में कहा गया है कि बोर्ड ने भी उसका उचित परीक्षण नहीं किया और उसे पद के लिए अपात्र माना. बोर्ड के निर्णय से अदालत भी संतुष्ट नहीं हुई. इस पर एकलपीठ ने बोर्ड के सदस्यों को पेश होने के आदेश दिए हैं.

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