जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर सभी के लिए चुनौती है. हमें इसे गम्भीरता से लेते हुए इस महामारी को फैलने से रोकना है और इसका मुकाबला हेल्थ प्रोटोकाॅल की प्रभावी पालना सुनिश्चित करते हुए करना है. उन्होंने कहा कि पिछले साल कोरोना के खिलाफ जंग सभी प्रदेशवासियों के समन्वित प्रयासों से जीती थी. राजस्थान कोरोना प्रबंधन में अव्वल रहा. इस बार भी हमें उसी समर्पण के साथ कार्य करते हुए दूसरी लहर में संक्रमण को फैलने से रोकना है.
सीएम अशोक गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर चिकित्सालयों एवं चिकित्सा संस्थानों में 55 करोड़ रुपए से अधिक लागत के 16 कार्यों का लोकार्पण और 2 कार्यों का शिलान्यास किया. उन्होंने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है. पिछले 2 साल में प्रदेश में हेल्थ सेक्टर में मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है. हमारी सरकार के पिछले कार्यकाल में लागू की गई मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना एवं मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना की पूरे देश में सराहना हुई थी. इस बार हमने ‘निरोगी राजस्थान‘ को अपना ध्येय वाक्य बनाया और हमारी तैयारियों का फायदा कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में हमें मिला.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल कोरोना संक्रमण के दौरान राजस्थान एवं तमिलनाडू ने कोरोना टेस्ट के लिए शत-प्रतिशत आरटीपीसीआर पद्धति को अपनाया था. हमारे इस कदम की सराहना प्रधानमंत्री ने भी की और उन्होंने कहा कि हर राज्य को 70 प्रतिशत टेस्ट आरटीपीसीआर पद्धति से करने चाहिए, ताकि संक्रमण का समय पर पता चल सके और उसे आगे बढ़ने से रोका जा सके. उन्होंने कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन में राजस्थान देश के अन्य राज्यों से आगे है. हमारे यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक वैक्सीनेशन की सुविधा उपलब्ध है. सभी जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है.
गहलोत ने कहा कि प्रदेश में हर परिवार को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने के लिए 1 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होगी और 1 मई को मजदूर दिवस के मौके पर बीमा सुविधा की योजना शुरू हो जाएगी. इसमें एनएफएसए एवं एसईसीसी के दायरे में आने वाले परिवारों के साथ संविदाकर्मियों, लघु एवं सीमान्त किसानों को निःशुल्क तथा अन्य परिवारों को बीमा प्रीमियम की 50 प्रतिशत राशि (लगभग 850 रूपये वार्षिक खर्च) पर सरकारी तथा निजी चिकित्सा संस्थानों में कैशलेस इलाज के लिए प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए तक की चिकित्सा सुविधा मिलेगी.