जयपुर. जिला यातायात प्रबन्ध समिति की मंगलवार को सम्पन्न हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला कलेक्टर अन्तर सिंह नेहरा ने निर्देश दिया कि जयपुर जिले में ‘‘नो रिफ्लेक्टर नो व्हीकल’’ अभियान को प्राथमिकता से संचालित किया जाए. इसे सभी हितधारक विभागों द्वारा एनजीओ का सहयोग लेते हुए आपसी समन्वय से चलाया जाना चाहिए. इसके साथ जिले में सड़क दुर्घटनाओं, चालान एवं अन्य कार्रवाइयों के डेटाबेस को एकजाई किया जाना चाहिए, जिससे पूरी स्थिति सामने आ सके. गुड सेमेरिटन, सड़क सुरक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए भी विशेष प्रयासों की आवश्यकता है.
नेहरा मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट में हुई समिति की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जयपुर जिले में अधिक वाहन संख्या होने के कारण सड़क सुरक्षा एवं परिवहन नियमों के उल्लंघन पर परिवहन विभाग एवं यातायात पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का प्रभाव कम नजर आता है. इसलिए किसी भी अभियान को सभी हितधारक विभागों द्वारा समन्वित एवं प्रभावी रूप से चलाए जाने की जरूरत है. बैठक में बताया गया कि ‘‘नो रिफ्लेक्टर नो व्हीकल’’ अभियान में वाहनों पर सामने सफेद, साइड में पीली एवं बैक साइड पर लाल टेप लगवाए जा रहे हैं. कई वाहनों के चालान भी बनाए गए हैं. नेहरा ने इस अभियान की प्रगति अगली बैठक में लाने के निर्देश दिए हैं.
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बैठक में बताया गया कि जयपुर शहर में विभिन्न सड़कों एवं वाहनों के लिए गति सीमा निर्धारित की जा चुकी है. नेहरा ने इससे सम्बन्धित बोर्ड लगाने के लिए सभी रोड ओनिंग एजेंसियों को निर्देश दिए हैं. मोर्थ द्वारा निर्धारित अधिकतम गति सीमा में संशोधन की आवश्यकता होने पर प्रस्ताव प्रस्तुत करने को कहा. इस पर जमवा रामगढ़ के विधायक गोपाल मीणा ने कहा कि नगर निगम सीमा के विस्तार के कारण शहर के बाहरी इलाकों में भीड़ की स्थिति को देखकर ही अधिकतम गति सीमा निर्धारित की जानी चाहिए. ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन द्वारा हैवी ट्रैफिक क्षेत्र में बसी काॅलोनियों में सचेतक बोर्ड लगाने की सुझाव दिया गया.
जिला कलेक्टर नेहरा ने वर्ष 2017 से 19 के दौरान शहरी क्षेत्र के निर्धारित 74 एवं ग्रामीण क्षेत्र के 39 ब्लैक स्पाॅट्स एवं उनके सुधार की स्थिति की समीक्षा की. साथ ही 2020 में घटित सड़क दुर्घटनाओ के आधार पर नए ब्लैक स्पाॅट्स के सम्बन्ध में रोड ओनिंग एजेंसी, परिवहन पुलिस, एनजीओ एवं अन्य हितधारक विभागों को संयुक्त निरीक्षण करने के निर्देश दिए. नेहरा ने समन्वित सड़क दुर्घटना डेटा बेस के निर्माण के लिए विभिन्न हितधारक विभागों के इंजीनियर्स को भी प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश दिए. इनमें दोनों नगर निगम, सार्वजनिक निर्माण विभाग, एनएचएआई, जयपुर विकास प्राधिकरण, आरएसाआरडीसी के इंजीनियर्स को भी शामिल करने को कहा. अभी यह प्रशिक्षण जयपुर शहर में परिवहन विभाग के अधिकारियों को ही दिया गया है, जयपुर ग्रामीण में दिया जाना है. डेटाबेस की फीडिंग प्रारम्भ हो चुकी है. इसमें दुर्घटना के मौके पर जाकर एप के माध्यम से डेटा एकत्र किया जाता है.