कोटा.कोटा एसीबी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरूवार रात को सिंचाई विभाग के दो अभियंताओं को 10 लाख 67 हजार रुपए की राशि के साथ पकड़ा है. कोटा एसीबी ने इस कार्रवाई को मुखबिर से सूचना पर आकस्मिक चेकिंग करके अंजाम दिया.
बता दें कि गुरूवार को एसीबी के अधिकारियों को मुखबिर से सूचना मिली थी कि इनमें से एक अभियंता अपने एरिया में चल रहे निर्माण कार्यों की एवज में ठेकेदारों से कमीशन लेकर अपने घर कोटा आ रहा था. फिलहाल एसीबी ने इनके पास से मिली राशि को जब्त कर लिया है. साथ ही जिस वाहन में बैठकर ये आ रहे थे. उस सरकारी गाड़ी को भी एसीबी ने अपने कब्जे में ले लिया है. साथ ही दोनों अभियंताओं से राशि के बारे में पूछताछ की जा रही है.
कोटा एसीबी की बड़ी कार्रवाई वहीं के साथ मौजूद तीसरे अभियंता के पास से कोई राशि नहीं मिली है. ऐसे में उन्हें प्रारंभिक पूछताछ के बाद एसीबी ने छोड़ दिया है. जानकारी के अनुसार एसीबी कोटा सिटी की टीम को सूचना मिली थी कि बारां जिले के अटरू में तैनात सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता मोहन लाल शर्मा अपने एरिया में चल रहे कार्यों की एवज में ठेकेदारों से कमीशन लेकर कोटा आ रहे हैं. वह जिस गाड़ी में आ रहे थे, वह बारां जिले में ही तैनात अधिशासी अभियंता सत्येंद्र पारीक को मिली हुई सरकारी गाड़ी थी. जिसमें बैठकर वे कोटा आ रहे थे.
सूचना पर कोटा एसीबी की टीम ने रात को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ठाकुर चंद्रशील कुमार के निर्देश पर निरीक्षक अजीत बागडोलिया के नेतृत्व में टीम बनाकर नया नोहरा भेजी. इस टीम ने जिस गाड़ी में बैठकर ये अभियंता कोटा आ रहे थे. उसको रुकवाया और आकस्मिक चेकिंग की. इसमें सामने आया कि सहायक अभियंता मोहनलाल के पास से 10 लाख रुपए और अधिशासी अभियंता सत्येंद्र पारीक के पास से 67 हजार रुपए मिले. जिनके बारे में दोनों अधिकारी संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए. ऐसे में एसीबी की टीम उन्हें लेकर एसीबी चौकी आ गई. जहां पर उनसे पूछताछ की जा रही है. साथ ही ऐसी बिना इनके पास से मिले 10 लाख 67 हजार रुपए भी जब्त कर लिए हैं और बोलेरो गाड़ी को भी अपने कब्जे में रख लिया है.
एसीबी के अधिकारियों ने अभियंताओं से राशि के बारे में पूछताछ शुरू की. इसमें सहायक अभियंता मोहनलाल ने बताया कि वह बारां जिले के ठेकेदार विनोद विजय से राशि को उधार लेकर आया था, लेकिन बारां एसीबी की टीम ने जब ठेकेदार विनोद विजय से पूछताछ की तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया है. ऐसे में एसीबी मान रही है कि यह राशि कमीशन के रूप में अर्जित की गई राशि ही है.