हिंसा ने नहीं उठने दी खरगोन की बेटी की डोली, उपद्रवियों ने मचाया उत्पात, लूट ले गए सारा सामान, सुनें परिवार की जुबानी दर्द की कहानी... - खरगोन हिंसा
खरगोन। कहते हैं तूफां तो आकर चला जाता है, लेकिन पीछे निशां छोड़ जाता है. यह कहावत खरगोन हिंसा पर सटीक बैठती है. हिंसा के छह दिन बाद धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही हैं, लेकिन उसके निशां अभी भी लोगों के दिलों पर हैं. संजय नगर के मुछाल परिवार में एक बेटी का ब्याह होना था. 11 तारीख की लगन और 14 अप्रैल की शादी फिक्स थी, लेकिन तनाव के चलते सब कुछ निरस्त हो गया है. परिवार का कहना है कि हिंसा में जो भी सामान वह खरीद कर लाए थे, उपद्रवी लूट कर ले गए. (khargone violence) (consequences of khargone violence)