रिश्तों का ताना-बाना दर्शाता है नाटक 'दो कदम पीछे'
भोपाल। शहीद भवन भोपाल में नाटक 'दो कदम पीछे' का मंचन किया गया. इस प्रस्तुति के लेखक थे सतीश सालुंके और निर्देशक किया किया था त्रिवेदी ने. नाटक का मुख्य पात्र सुधाकर नाटक के क्षेत्र में नामी-गिरामी नाम है. कई ऑवर्ड से सम्मानित सुधाकर अपने जीवन में अकेला है. वह अपने रंगमंच की दुनिया को पूरी तरह से छोड़ नहीं पाया है. एक दिन अचानक उसके घर की घंटी बजती है और एक महिला मेहमान उसके बिना कहे ही अंदर आ जाती है जैसे ही दोनों एक दूसरे को देखते हैं तो चौक जाते आपसी वार्तालाप से पता चलता है कि महिला मेहमान यानी मालती उसकी पहली पत्नी है. जिससे सुधाकर का कई साल पहले तलाक हो चुका है. नाटक में आगे के दृश्यों में वे अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी निजी जिंदगी पर बात करते हैं. इसी बीच सुधाकर को पता चलता है कि उसके दोस्त दिवाकर की पत्नी है उसके नाम को लेकर दोनों में झगड़ा होता है. लेकिन बाद में उसे पता चलता है कि दिवाकर की मौत हो चुकी है बातचीत में यह भी पता चलता है कि सुधाकर की दूसरी पत्नी को सुधाकर ने छोड़ दिया नाटक के अंत तक दोनों को एहसास होता है कि वह एक दूसरे के प्यार को भुला नहीं पाए सुधाकर और मालती तय करते हैं जीवन में अपने अहम को छोड़ कर दो कदम पीछे हटकर रिश्तो को बचाया जा सकता है. रिश्तों को फिर से जिया जा सकता है और वह दो दोनों दो कदम पीछे हटने का निर्णय लेते हैं.
Last Updated : Jan 24, 2021, 2:27 PM IST