यहां रंगपंचमी तक रहती है होली की बहार
उमरिया। वैसे तो होली तो रंग और अबीर का त्योहार है, लेकिन जब होली में स्थानीय भाषा और वाद्य यंत्रों के साथ गीत और संगीत का समावेश हो जाए, तो त्योहारों में चार-चांद लग जाता है. जिले में भी रंगोत्सव के बाद रंग पंचमी तक ढोल और नगाड़ों की मांदर की थाप पर लोकगीतों की बहार रहती है. आइए सुनते है लोकगीत....