Khandwa Bhimashankar Temple: पांडव कालीन भीमाशंकर मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र, सावन में पूजा का विशेष महत्व - खंडवा पांडवकालीन भीमाशंकर मंदिरा का महत्व
खंडवा। जिले में महाभारत कालीन भीमाशंकर शिव मंदिर का अपना अलग ही महत्व है. मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां रुके थे. भीम ने भगवान शिव की तपस्या के लिए यहां शिवलिंग का निर्माण किया था और जल के लिए गदा मारकर एक कुंड बनाया था. तभी से इस क्षेत्र को भीमकुंड के नाम से जाना जाता है. दो नदियों से घिरे प्रकृति के बीच स्थित इस कुंड में स्नान कर भीमाशंकर महादेव की पूजा का विशेष महत्व है. सावन मास में मंदिर में हर दिन श्रद्धालु पूजा करने पहुंच रहे हैं. यहां मंदिर के पास का झरना लोगों को आकर्षित करता है. इसके साथ ही महाभारत कालीन प्राचीन मंदिर होने से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. सावन माह में यहां पूजा का विशेष महत्व है. ग्रह शान्ति के लिए यहां श्रद्धालु भात पूजा करते हैं. शिवलिंग पर भात चढ़ाते हैं. चने की दाल भी चढ़ाते हैं. भीमकुंड मंदिर के महंत दुर्गानंद गिरी महाराज ने बताया कि "शहर में चार कुंड हैं. इसमे प्राचीन काल का एक कुंड भीमकुंड है. यहां भगवान शंकर का करीब 5 हजार साल पुराना मंदिर है. यह मंदिर द्वापर काल का है. पांडव अज्ञातवास के समय यहां आए थे. इस क्षेत्र को बबरी वन कहा जाता था. भीम ने गदा मारकर कुंड बनाया था. इसके साथ ही यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. तभी इस मंदिर का नाम भीमाशंकर और कुंड का नाम भीमकुंड पड़ा. यहां आने वाले कि हर मनोकामना पूरी होती है.