इंसानियत की अद्भुत मिसाल: बच्चों का दर्द देखा नहीं गया तो चप्पल लेकर स्कूल पहुंचा शिक्षक, देखें VIDEO - इंसानियत की अद्भुत मिसाल
रायसेन। एक कहावत है जिसकी पैर फटी न बिमाई वो क्या जाने पीर पराई. मतलब जब तक व्यक्ति के शरीर में दर्द नहीं होता वह किसी दूसरे के दर्द को समझ नहीं पाता. इसी का जीता जागता उदाहरण सामने आया है रायसेन के सिलवानी तहसील से. मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूर स्थित आदिवासी बाहुल्य ग्राम ककरुआ में प्राथमिक शाला स्कूल के शिक्षक हेमराज प्रजापति ने इंसानियत की मिसाल पेश की है. स्कूल जाते समय उन्होंने ऐसे कई बच्चों को देखा जिनके पैरों में जूते या चप्पल नहीं थे. यह क्षेत्र पथरीला है जिसकी वजह से पत्थरों पर सुबह से पड़ने वाली धूप पत्थरों को गर्म तवे के समान कर चुकी थी. जिसकी तपिश नन्हें मुन्हें बच्चे सहन नहीं कर पा रहे थे. शिक्षक हेमराज ने अपनी सैलरी के पैसों से तुरंत दूसरे दिन सभी बच्चों के लिए चप्पलों की व्यवस्था की. चप्पल पाकर बच्चों की खुशी देखने लायक थी.(wonderful example of humanity in raisen) (teacher distributed slippers to children)