विदिशा।शहर के श्रीहरि वृद्धाश्रम में रहने वाली 85 वर्षीय काशीबाई दांगी का सोमवार के दिन राजीव गांधी आयुर्वेद महाविद्यालय भोपाल में देहदान किया गया. वे अपने सभी रिश्तेदारों की उपेक्षा के कारण गोशाला में सोती थीं. अपने गांव हथियाखेड़ी में बर्तन साफकर अपना जीवन काट रही थी. काशीबाई मूलत: हर्जाखेड़ी गुलाबगंज की रहने वाली थी. वे अपने पति की मौत के बाद भांजा दामाद के यहां चली गई थी. यहां परिवार के लोग उन्हें बोझ समझते थे. परिजनों के व्यवहार के कारण वह गांव के सरपंच दशरथ सिंह दांगी के यहां रहने लगीं थी. उन्हीं की दहलान और गोशाला सोती थी.महाविद्यालय के प्राचार्य भगवतीप्रसाद शर्मा, प्राध्यापक दिलीप धनोलिया, प्रो. प्रमोद बघेल, प्रो. काशीराम सोनवाने सहित देहदान के प्रणेता डॉ राकेश भार्गव, वृद्ध आश्रम अध्यक्ष इंदिरा शर्मा, संचालक वेदप्रकाश शर्मा सहित आश्रम स्टाफ ने उन्हें अंतिम विदाई दी.
अचेत अवस्था में कोई छोड़ा था:श्रीहरी वृद्ध आश्रम में कोई अज्ञात व्यक्ति उन्हें आश्रम के बाहर की सड़क पर अचेत अवस्था में छोड़ गया. उनके मुख से ग्राम हथिया खेड़ी सुनने पर आश्रम संचालक द्वारा पुलिस अधीक्षक, सी.एस.पी. जिला थाना कोतवाली में इसकी सूचना दी गई. पुलिस हस्तक्षेप के बाद उनके परिजन आश्रम आए और आश्रम प्रबन्धन को यह लिखकर दे गए कि, हमारा उनसे कोई करीबी नाता रिश्ता नहीं है. यह कथन उन्होंने स्वयं लिख कर दिया. इसके बाद से ही आश्रम प्रबंधन उनकी दिन रात सेवा सुश्रुता कर रहा था. आश्रम में वह अपने सभी करीबी रिश्तेदारों को बहुत याद करती रही. रोती रही तड़पती रही और उनसे मिलने के लिए उनकी आत्मा कराहती रही.