मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

Navratri 2023: एमपी के विदिशा में स्थित प्रसिद्ध मां ज्वाला देवी शक्तिपीठ, यहां दिन में 3 बार रूप बदलती है माता दुर्गा, सालों से जल रही अखंड ज्योत - नवारात्री उत्सव

विदिशा में स्थित मां ज्वाला देवी शक्तिपीठ शहर समेत प्रदेशभर में काफी फेमस है. यहां भक्त मनोकामना लेकर पहुंचता है, जो कभी खाली हाथ लेकर नहीं पहुंचता है. इस मंदिर में मान्यता है कि यहां माता ज्वाला देवी एक दिन में तीन बार रूप बदलती है. आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला...

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 18, 2023, 4:40 PM IST

Updated : Oct 18, 2023, 6:13 PM IST

विदिशा का मां ज्वाला देवी मंदिर

विदिशा.शहर में स्थित प्रसिद्ध मंदिर मां ज्वाला देवी शक्तिपीठ जाना माना नाम है. नवरात्री के मौके पर हम प्रदेश के इस सबसे चर्चित मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं. यहां जो भी भक्त मनोकामना लेकर पहुंचता है, तो कभी खाली हाथ नहीं लौटता. इस मंदिर में मान्यता है कि यहां माता ज्वाला देवी एक दिन में तीन बार रूप बदलती हैं. ज्वाला देवी शक्तिपीठ मां दिन में तीन रूप बदलती है. रात 8:00 बजे से 12:00 बजे तक 35 वर्ष की आयु और दोपहर 12 से 4 बजे में बुजुर्ग का रूप लेती हैं. शाम 4:00 से 7:00 बजे में कन्या का रूप लेती हैं.

यहं सालों से दर्शन करते आ रहे, पं. रामेश्वर दयाल ने बताते हैं, कि मुस्लिम जागीरदार ने इस मंदिर को जमीन दान में दी थी. फिर इसके बाद ही यहां मंदिर का निर्माण हुआ था. दुर्गा नगर कभी पूरा जंगल था. जीवाजी राव सिंधिया ने इस जमीन को दरगाह के लिए यह जमीन दान में दी थी. इसके बाद मुस्लिम समाज के शरीफ जागीरदार ने दुर्गा मंदिर के निर्माण हेतु यह जमीन दान में दे दी थी. उत्तर प्रदेश के पूर्व सांसद स्वर्गीय मुनव्वर चौधरी सलीम भी यहां पर चुनरी चढ़ाने आते थे.

शरीफ भाई जागीरदार ने दी थी जमीन और कलदार रुपये भी दिये:
1958 में मुस्लिम समाज के शरीफ जागीरदार जिनके पास विदिशा शहर की जो वर्तमान में दुर्गा नगर के नाम से जाना जाता है. इस क्षेत्र की पूरी जमीन हाजीवली तालाब सहित, भू स्वामित्व में थी. उन्होंने दुर्गामंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं. क्षेत्र के धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों द्वारा विशेषकर श्री हरिसिंह सोलंकी द्वारा नई नई बस्ती बनती जाने वाले इलाके में एक मन्दिर की जरूरत महसूस की थी और एक छोटे से चबूतरे पर मां दुर्गा जी के साथ श्री हनुमानजी, भैरोजी की प्रतिमा विराजित करके पूजा ऋचा शुरू करवा दी थी. पूजन हेतु श्री पंडित प्रभु दयाल को , जो मूलतः पीपलखेड़ा गांव के रहने वाले थे, निरंजन वर्मा के पड़ोस में आकर रहने लगे एवं नीमताल क्षेत्र में पूजापाठ करने लगें थे.

इन्हें बुलाकर नई बस्ती में ले गए और वहां पूजन इन्ही से कराने लगे. इसके पूर्व मन्दिर निर्माण की जब बात आई तो शरीफ भाई जागीरदार ने मन्दिर के लिये भूमि मुफ्त में दान में दे दी. साथ ही मन्दिर के वास्तु की पूजन के समय 11 चांदी के कलदार रुपये भेंट दिये थे. यही रुपये मन्दिर की नींव में रखे गए और भी सोना चांदी आदि विधिविधान के साथ नीव रखी गई. मन्दिर बनने के बाद जो बस्ती बसना शुरू हुई, उसे स्वाभाविक तौर पर दुर्गानगर कहने लगे. एक समय उजाड़ एवं सुनसान सा लगने वाले इलाका आज नए विदिशा की शान बन चुका है. बड़ी बड़ी इमारते, दो-चारमंजिला मार्किट, शानदार शो रूम, दुर्गा नगर को देखते ही बनता हैं.

ये भी पढ़ें...



10 दिन तक लगातार जलती है ज्योत: यहां 700 ज्योत तेल की और 150 ज्योत घी की एक साथ लगातार 10 दिन तक जलती हैं. इनमें से कई ज्योतियां तो मातारानी के दरबार मे पूरे साल जलती ही रहती हैं. दुर्गानगर के माता मंदिर में माता की भक्ति के एक स्वरूप में निरन्तर दीपक की ज्योति प्रज्ज्वलित रखना भी एक तपस्या निरूपित की जाती है. इसी उद्देश्य से सैकड़ों लोग अपनी अपनी ज्योत माता के दरबार मे जलाते हैं. इस वर्ष 850 ज्योतियां जल रही हैं. इसमें कम से कम 11 क्विंटल घी, तेल लगता है.

माता का मंदिर सिद्ध स्थान है: मंदिर के पुजारी का कहना है कि यह सिद्ध स्थान है. यह मां तीन रूप बदलती है. स्वत: स्थान जागृत हुआ है. इस मंदिर में मनोकामनाएं पूर्ण होती है. यह मंदिर ज्वाला देवी के नाम से फेमस हुआ है. 1 ज्योत से आज 1000 ज्योत तक पहुंच चुकी है. मां और इस स्थान से स्वत: लोगों के काम मनोकामना पूर्ण होती है. विदेश के लोगों की कई ज्योत और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी विगत 25 वर्षों से ज्योत जल रही है. यह मंदिर प्रातः 4:00 बजे खुल जाता है और रात 12:00 तक मंदिर के पट बंद होते हैं. 700 ज्योति तेल की जल रही है और डेढ़ सौ ज्योति की घी की जल रही है. 1958 में इसकी प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. हाजीवली को विदा करके मां ने कहां था कि इस स्थान पर बैठ रही हूं. हमारे पिताजी ने इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई. शरीफ जागीरदार ने इस मंदिर के लिए जमीन दान में दी थी. प्रातः सुबह 4:00 बजे से जनता जनार्दन भक्ति जल चढ़ाने आ जाते हैं और देर रात तक भक्तों का यहां तांता लगा रहता हैं.

Last Updated : Oct 18, 2023, 6:13 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details