विदिशा।बच्चों का स्कूल में अनूठा प्रवेश हुआ. मंदिर-मंदिर बैंड बजा कर स्कूल में पैर पखारे फिर स्कूली बच्चों का स्कूल में प्रवेश किया गया. स्कूल में रामायण पथ भी बनवाया हैं. गुरु पूर्णिमा है. आज के दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था और हम लोग अभी बैंड के साथ मंदिर गए थे. वहां पर हमने पूजा भी की. स्कूल में आकर यहां पर भी पूजा पाठ की और स्पीच भी दी. साथ ही साथ गुरुओं को गिफ्ट वगैरह भी दिए और मंदिर में भी यही प्रार्थना की है कि हमारी गुरुओं का हम पर आशीर्वाद रहे.
स्कूल में स्कूली बच्चों का अनूठा प्रवेश:बच्चों का स्कूल में प्रवेश प्रारंभ हुआ. हम लोग स्कूल लेकर गए बच्चों ने बैंड बाजे की प्रस्तुति भी दी और मंदिर लेकर गए मंदिर में बच्चों से पूजन भी कराई. छोटे-छोटे कन्याओं बच्चों के पैर धुलवाये पर यहां पर भी पूजन पाठ किया. गुरुओं का सम्मान मिला. इसका मकसद बच्चों को संस्कृति बताना है. हम भारत में रहते हैं, यह हमारी संस्कृति है. हमारा भारत की और गुरुओं के प्रति क्या सम्मान है. आज के दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. हमने इनको गुरुओं के बारे में बताया. हमने भी बच्चों को यही बताया गुरुओं का सम्मान करना.
Vidisha MP News: विदिशा में मंदिर-मंदिर बैंड बजा कर स्कूल में पैर पखारे, फिर हुआ बच्चों का WE Teach High School में प्रवेश
विदिशा में बच्चों का स्कूल में अनूठा प्रवेश हुआ. मंदिर-मंदिर बैंड बजा कर स्कूल में पैर पखारे. फिर स्कूली बच्चों का स्कूल में प्रवेश किया गया. स्कूल में रामायण पथ भी बनवाया हैं.
स्कूल में बनवाया रामायण पाठ:मयंक कर्ण ने कहा कि "बच्चों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान होना अति आवश्यक है. जितना बच्चे अपनी संस्कृति को जानेंगे उतना ही बच्चे अपने भारत को जानेंगे. बच्चों का आज पहला दिन था. हम लोगों का ऐसा विचार बना कि बच्चों का स्वागत बहुत अच्छे से करें और उस स्वागत में हम पूरे बच्चों के साथ बैंड बजाते हुए मंदिर गए मंदिर में पूजा अर्चना के लिए मिठाईयां बाटी. छोटी-छोटी जो बच्चियां थी उनके पैर धुलाई उनको टीका लगाकर बहुत अच्छे से हम लोगों ने सारे बच्चों का पहले दिन स्वागत किया. स्कूल में मैंने रामायण पथ भी बनवाया हैं.
उन्होंने कहा कि "स्कूल में रामायण पथ बनवाने का मेन उद्देश्य यह भी है कि बच्चे हमारी संस्कृति के बारे में जाने. वह हमारी संस्कृति के बारे में जानेंगे. तभी तो भारत के बारे में जानेंगे. वाल्मीकि जी ने जब रामायण लिखी थी. वहां से शुरुआत होकर शबरी ने बेर खिलाए थे. राम भगवान जब वनवास पर गए थे और रामेश्वरम का भी चित्र है. अयोध्या का राम मंदिर भी है."