विदिशा। देश को आजादी दिलाने में कई सेनानी शहीद हो गए. लेकिन कई स्वतंत्रता सेनानी आज भी जीवित है और देश के लिए त्याग कर रहे हैं. उनका योगदान भी कम नहीं आका जा सकता. ऐसे ही जीवित सेनानी हैं रघुवीर चरण शर्मा. विदिशा जिले के स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा ने आजाद भारत के सपने को पूरा करने के लिए महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के साथ महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई ही, लेकिन शर्मा आज भी सरकार से मिलने वाली सम्मान निधि को देश की धरोवर मानकर देश के लिए समर्पित कर देते हैं. आईये जानते हैं रघुवीर चरण शर्मा के बारे में रोचक किस्से. (Independence Day 2022)
आजादी के सेनानायक रघुवीर चरण शर्मा देश को अंग्रेजों से मुक्ति वाले अभियानों का हिस्सा बने:विदिशा की शकरी गलियों में रहने वाले कन्हैया लाल शर्मा न्यायालय में रीडर थे. 13 फरवरी 1926 को उनके घर में बच्चे की किलकारी गूंजी. जिसका नाम रखा गया रघुवीर चरण शर्मा. उन दिनों भारत में अंग्रेजी शासन था. प्राम्भिक समय से ही रघुवीर चरण शर्मा क्रन्तिकारी थे. बात 1936 की है जब सुन्दर लाल की किताब "भारत में अंग्रेजी शासन" (Bharat Mein Angrezi Raj) जो उन दिनों प्रतिबंधित किताब थी. इस किताब के अध्ययन से रघुवीर में देश प्रेम की भावना जाग उठी. फिर क्या था रघुवीर चरण शर्मा क्रांतिकारी नेताओं के संपर्क में आ गये और देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने वाले अभियानों का हिस्सा बन गए.
स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर शर्मा का हुआ था सम्मान लोगों में जगाई देश प्रेम की भावना: बात 1942 की है जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया. जिसे 'करो या मरो' का नारा दिया गया. आदेश अनुसार रघुवीर चरण शर्मा गांव-गांव जाकर लोगों को अंग्रेजों को सहयोग न करने को प्रेरित करने लगे. स्कूल-स्कूल जाकर छात्रों में देश प्रेम की भावना भरने लगे. उसी दौरान उन्हें और उनके साथियों को विदिशा से ही गिरफ्तार कर लिया गया. 2 माह ग्वालियर जेल में रखा गया, 6 माह तक मुंगावली जेल में रहना पड़ा. अंत में मेहनत रंग लाई और देश को आजादी मिली. (Freedom Fighter Raghuveer Charan Sharma)
स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा को मिला ताम्रपत्र 1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ताम्रपत्र से नवाजा:रघुवीर चरण शर्मा बताते है की ''मुझे वो दिन याद हैं जब में ट्रेन में सुभाष चन्द्र बोस से मिला था. तो उन्होंने कहा था की अंग्रेज अभी लड़ाई में उलझे हैं तो गर्म लोहे पर चोट करो. महात्मा गांधी से मुंबई जाते समय विदिशा रेलवे स्टेशन पर मुलाकात हुई थी''. आजादी के बाद घर चलाने के लिए शर्मा ने प्रायवेट नौकरी की. 1972 में इंदिरा गांधी के प्रयासों से स्वतत्रता संग्राम सेनानियों को ताम्र पत्र से सम्मानित कर सम्मान निधि की शुरुआत की कई. उस सम्मान निधि से रघुवार शर्मा, विवेकानंद, चन्द्र शेखर, महारानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति और शहीद ज्योति स्तम्भ की स्थापना करा चुके हैं.
अंग्रेजों के दमन, देशवासियों के जज्बे की कहानी वाला संग्रहालय, जहां है अंग्रेजों का हंटर, आजादी आंदोलन के बुंदेली शिल्पकारों के बर्तन
जनहित के कामों में खर्च करते हैं सम्मान निधि: भारत सरकार आजादी के ऐसे सेनानायकों को आज भी देश की धरोहर मानते हुए उन्हें सम्मान निधि दे रही है. मगर विदिशा के रघुवीर चरण शर्मा मिलने वाली सम्मान निधि के पाई-पाई का हिसाब रखते हैं. अपने आदर्शों के पक्के रघुवीर चरण अपनी सम्मान निधि का उपयोग अपने और अपने परिवार के लिए नहीं करते हैं. बलकि उसे राष्ट्र की धरोहर मानकर जनहित के कामों में लगाते हैं. विदिशा के शहरी स्तंभ के लिए 3.5 लाख, गर्ल्स कालेज की केंटीन के लिए 2 लाख, फर्नीचर के लिए 1 लाख और कॉलेज में विवेकानंद की प्रतिमा के लिए 1.11 लाख दे चुके हैं.
हिन्दी भवन की स्थापना कराई: देश की आजादी के दस्तावेज सुरक्षित रहें और वीरों के साहित्य को लोगों तक पहुंचा सके, इसके लिए रघुवीर चरण शर्मा ने हिन्दी भवन की स्थापना कराई थी. उसके लिए उन्होंने 10 लाख रूपये दिए थे. साथ अन्य सामाजिक संगठनों को भी लाखों रुपये दान दिए हैं. आज वह बीमार है, उनके बावजूद वह खुद पर बहुत कम पैसा खर्च करते हैं.
(Independence Day 2022) (Har Ghar Tiranga) (Freedom Fighter Raghuveer Charan Sharma)