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लॉकडाउन से गई मजदूरी, कोरोना नहीं रोटी बनीं मजबूरी, अब तो प्रशासन भी बना रहा है दूरी

विदिशा जिले के सिंरोंज में फसल कटाई के लिए आए मजदूर लॉकडाउन के कारण फंस गए हैं. इन्हें घर जाने के लिए न तो कोई साधन मिला और न ही प्रशासन की मदद मिल रही है. इन मजदूरों को रोटी के लिए रोज नईं समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है. देखना होगा कि इन मजदूरों की प्रशासन किस तरह से मदद करता है.

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Published : Apr 19, 2020, 8:46 PM IST

Updated : Apr 19, 2020, 9:08 PM IST

Bread Struggle
रोटी का संघर्ष

विदिशा। संघर्ष की यह कहानी एक या दो नहीं बल्कि लाखों परिवारों की हैं. यह तस्वीरें सिरोंज के महादेव खेड़ी गांव की है. शहडोल, कटनी और झांसी के रहने वाले ये मजदूर लॉकडाउन के कारण फंस कर रह गए हैं.

रोटी के लिए संघर्ष कर रहे 'दिहाड़ी' मजदूर

कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है. इसी लॉकडाउन ने कई लोगों को काम से राहत दी तो कई लोगों की रोजी रोटी छीन ली. विदिशा के विधानसभा क्षेत्र सिरोंज में भी कुछ यही हाल देखने को मिला, जहां दिहाड़ी मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

कोरोना वायरस का जन्म भले ही चीन में हुआ हो लेकिन इसके शिकार गरीब और मजदूर तबके के लोग हुए हैं. कोरोना महामारी से बचाव के लिए सरकार ने लॉकडाउन तो लगा दिया लेकिन अब लाखों दिहाड़ी मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं.

रोटी का संघर्ष

फसल कटाई के लिए आए थे मजदूर

आर्थिक तंगी के कारण से ये मजदूर सिरोंज में मजदूरी के लिए आए थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण पुलिस ने इन्हें यहीं रोक दिया है. अब ये मजदूर छोटे-छोटे तंबुओं में गुजारा कर रहे हैं. खाने को कुछ बचा नहीं है, तपती धूप में खुले आसमान के नीचे नन्हे-मुन्ने बच्चे लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं.

स्थानीय प्रशासन पूरी तरह फेल

शासन-प्रशासन लॉकडाउन में गरीबों की मदद करने का दावा तो जरुर कर रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो सिंरोज प्रशासन की अव्यवस्था की पोल खुल चुकी है. हालांकि जिला स्तरीय अधिकारी समस्याओं को लेकर चिंतित हैं और निराश और हताश मजदूरों की बात गौर से सुनकर उसका समाधान भी कर रहे हैं.

Last Updated : Apr 19, 2020, 9:08 PM IST

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