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गुनाह है यहां रावण दहन! जय लंकेश से होता है अभिवादन, दशहरे पर होता है पूजा-भंडारा - ravan temple in vidisha

इस गांव में रावण का अपमान करना मना है, पुतला जलाना भी गुनाह है क्योंकि इस गांव के लोग रावण को अपना आराध्य और कुलदेवता मानते हैं, यहां लोग जय लंकेश से अभिवादन करते हैं. दशहरे के दिन यहां पूजा-पाठ और भंडारे का आयोजन होता है.

Jai Lankesh in ravan village
रावण की पूजा करते ग्रामीण

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Published : Oct 14, 2021, 5:27 PM IST

विदिशा। आमतौर पर रावण को लोग राक्षसी प्रवृत्ति वाला मानते हैं, लेकिन एक ऐसा गांव है, जंहा लोग रावण को ही अपना आराध्य मानते हुए पूजा करते हैं, इतना ही नहीं वहां अभिवादन में भी जय लंकेश ही कहते हैं और अपने शरीर पर जय लंकेश लिखवाए हुए हैं, यही वजह है कि यहां प्रथम पूज्य भगवान गणेश नहीं बल्कि प्रथम पूज्यनीय रावण हैं. भले ही देश भर में दशहरे पर रावण दहन किया जाता है, यहां रावण बाबा के मंदिर में रावण की पूजा होती है और भंडारा होता है. विदिशा से 42 किमी दूर रावण गांव हैं, जहां के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं.

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यहां जय लंकेश से होता है अभिवादन

रावण गांव के अभय तिवारी के घर देखा तो दरवाजे से दीवारों तक पर जय लंकेश लिखा हुआ था, लोगों की रावण के प्रति भक्ति आश्चर्य चकित करती है, स्कूल से लेकर पंचायत भवन तक जिधर भी नजर घुमाएंगे, रावण ही लिखा नजर आएगा. पंडित नरेश पुजारी बताते हैं कि सामने एक पहाड़ी है, जहां एक दानव रहता था, दानव ने अपने पराक्रम के बल पर सभी को पराजित कर दिया था, उससे युद्ध करने वाला कोई योद्धा नहीं बचा था, इसलिए वह रावण से युद्ध करने लंका पहुंच गया, पहाड़ी में गुफा के अंदर से एक सीधा रास्ता लंका जाता है. जो बार-बार लंका जाता रहता था.

रावण की पूजा करते ग्रामीण

मंदिर में विराजित है रावण की लेटी हुई प्रतिमा

रावण ने एक दिन अपने मंत्री से पूछा यह व्यक्ति हर दिन सभा में आता और बिना कुछ कहे वापस लौट जाता है, दानव ने कहा कि वह क्रोध में अपनी गुफा से रावण से युद्ध के लिए आता है और यहां आकर उसका क्रोध शांत हो जाता है, तब रावण ने कहा कि तुमसे युद्ध करने वहीं आऊंगा, आज तुम मत आना. इसके बाद रावण ने गुफा पहुंचकर दानव का वध कर दिया और रावण मूर्छित अवस्था में वहीं लेट गए, तभी से रावण बाबा की लेटी हुई प्रतिमा वहां स्थापित है, इसलिए इस गांव का नाम रावण पड़ा.

रावण की पूजा करते ग्रामीण

रावण दहन की बात सुन भी नहीं सकते

रावण बाबा के मंदिर के सामने एक तालाब है जिसके बीचोबीच एक पत्थर की तलवार गड़ी हुई है, मान्यता है कि कितना भी पानी तालाब में भर जाए पर तलवार नहीं डूबती. तालाब की मिट्टी से लोगों के चर्म रोग ठीक होते हैं. इस मिट्टी को लोग विदेश तक ले जाते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि रावण को जलाने की बात सुन भी नहीं सकते. यहां दशहरे पर पूजन-भंडारा होता है.

विदिशा का रावण गांव

रावण बाबा हमारे कुलदेवता

रावण मंदिर के पुजारी ने बताया कि रावण बाबा महाराज गांव के इष्ट-कुलदेवता हैं, जय लंकेश हमारी गाड़ियों पर लिखा मिलेगा, जय लंकेश नहीं लिखोगे तो हमारा बहाना नहीं चलेगा ट्रैक्टर-ट्रॉली, जीप, बाइक सब पर जय लंकेश लिखा मिलेगा, रावण दहन यहां नहीं किया जाता है, बल्कि यहां भंडारा और दिनभर पूजा होती है..

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