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विदिशा का ऐतिहासिक राधा मंदिर, यहां सालभर में एक बार होते हैं दर्शन

भाद्रपद की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है, मना जाता है इसी रोज राधा का जन्म हुआ था. राधा अष्टमी के इसी पावन मौके पर बताते हैं कि विदिशा के ऐतिहासिक राधा मंदिर के बारे में...

Radha Temple of Vidisha
विदिशा का ऐतिहासिक राधा मंदिर

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Published : Aug 26, 2020, 9:11 PM IST

विदिशा।भाद्रपद की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है, माना जाता है कि इसी रोज राधा का जन्म हुआ था. इसी कारण मथुरा, वृंदावन और बरसाना में इस रोज बड़ी धूम रहती है, इस दिन को देश के कई मंदिरों में बड़े धूमधाम से उत्सव के रूप में मनाया जाता है. उन्हीं में शामिल है विदिशा का ऐतिहासिक राधा मंदिर, जहां पूरे साल राधा रानी की गुप्त पूजा होती है, लेकिन राधा अष्टमी के रोज भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जाता है और वो राधारानी के दर्शन कर पाते हैं.

विदिशा का ऐतिहासिक राधा मंदिर

साल में एक बार होते हैं दर्शन
विदिशा नंदवाना इलाके के वृंदावन गली में स्थित प्राचीन राधावल्लभय हवेली का यह मंदिर अपनी अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है. सालभर पुजारी का परिवार गुप्त पूजा करता है आम दिनों में मंदिर में किसी ओर को अनुमति नहीं होती. मंदिर के पुजारी पंडित मनमोहन शर्मा ने बताया कि राधारानी हीरा मोती और रत्नों से जड़े विशेष महल से विराजित हैं, राधा अष्टमी पर उनका भव्य श्रृंगार होता है और 12 बजे मंदिर के पट आम श्रद्धालु के लिए खुलते हैं, पट खुलते ही जन्म आरती का आयोजन किया जाता है, जिसके बाद पूरा दिन लोगों का आना जाना लगा रहता है.

औरंगजेब से बचाकर लाई गई थी मूर्ति
जानकार बताते हैं कि पहले यह मूर्तियां वृंदावन धाम श्रीजी घाट रंगिरायजी के नाम बने प्रसिद्ध मंदिर में विराजमान थीं, लेकिन 1969 में जब मुगल आक्रात्मक औरंगजेब हिंदू मंदिरों को निशाना बना रहा था, तो यह मंदिर भी उसके निशाने पर था. उस समय मंदिर के सेवक प्रतिमाओं को बचाने के लिए उन्हें लेकर अनजान रास्तों पर चल पड़े. किसी तरह बचते हुआ राधा मंदिर के सेवक विदिशा पहुंचे जहां प्रतिमाओं को हवेली में विराजित कर दिया गया, जिसे बाद में राधावल्लभीय हवेली कहा जाने लगा.

एक रोज दर्शन का राज
साल भर में एक दिन ही दर्शन को लेकर यहां 1696 से ही परंपरा चली आ रही है. यहां के पुजारी ने बताया कि जब वृंदावन धाम से किसी तरह मूर्तियों को बचाकर यहां लाया गया तो, यहां भी मुगल शासकों को इसके बारे जानकारी लगने का डर था, इसी कारण तब यहां गुप्त पूजा की जाने लगी और धीरे-धीरे यह एक परंपरा में बदल गई जो आज भी जारी है.

अधिकारी और नेता आते हैं दर्शन को
विदिशा के इस ऐतिहासिक मंदिर में आमजन ही नहीं बल्कि राजनेताओं की भी आस्था है, जिन्हें यहां पहुंचकर सुकून मिलता है. इसीलिए राधजन्माष्टमी के दिन यहां सुबह से ही राजनेताओं के आने का दौर जारी रहा. सुबह में मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, फिर मुख्यमंत्री की धर्म पत्नी साधना सिंह और फिर केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल सपरिवार यहां दर्शन के लिए पहुंचे.

300 साल पुराने इस मंदिर में राधा अष्टमी के दिन हर साल बड़ा आयोजन किया जाता था, पूरे शहर में धूम मची होती थी. हर साल यहां भक्तों तांता लगा होता है, लेकिन इस साल कोरोना के कारण यहां कोई बड़ा आयोजन नहीं किया गया और आम दर्शनार्थियों को भी दर्शन करने से रोका गया, जिस कारण राधारानी के भक्त निराश तो रहे, लेकिन उन्होंने जल्द कोरोना खत्म होने की प्रार्थना की है.

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