विदिशा। 'रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून,' रहीम ने इस दोहे के माध्यम से लोगों को पानी के महत्व से रू-ब-रू करवाया था, इस दोहे की तर्ज पर सरकारों ने भी 'जल ही जीवन है' के नारों पर करोड़ों रुपए खर्च करके दीवारों को रंगवाया, लेकिन गर्मियां शुरू होते ही आज भी देश के कई इलाकों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हो जाते हैं. फाइलों में मुख्यमंत्री नल-जल योजना से लेकर तमाम तरह की योजनाओं ने जन्म लिया, लेकिन समय और बदलती सियायत के साथ, ये तमाम योजनाएं फाइलों में दफन होकर रह गईं.
मध्य प्रदेश का सबसे हाई प्रोफाइल जिला कहे जाने वाले विदिशा के कई इलाकों के लोग पानी को तरस रहे हैं. ये समस्या किसी एक गर्मी के सीजन की नहीं है, ऐसा लगता है कि, गर्मी में पानी की समस्या इन इलाकों के लिए रिवाज बन गया है. विदिशा के टीलाखेड़ी, पुरनपुरा, शेरपुरा में जल स्तर गिर जाने से पानी के लिए महिला, पुरुष, और बच्चे, हर किसी को संघर्ष करना पड़ रहा है. इन इलाकों में नगर पालिका का टैंकर कभी पांच दिन, तो कभी एक सप्ताह में पहुंचता है. जिससे परिवार के हर सदस्यों को पानी के लिए संघर्ष करना होता है. पानी का टैंकर आते ही भीड़ उमड़ पड़ती है. लोग कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग भूल जाते हैं.