विदिशा।भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सूत्रधार नाना साहब पेशवा ने विदिशा में लगभग 200 वर्ष पहले नाना का बाग (अब देवी का बाग) में देवी मां की स्थापना की थी. यह मंदिर सांची-विदिशा मार्ग पर है. इस देवी मंदिर में पेशवा ने राजाओं की मदद के लिए 50 हजार सेना के साथ डेरा डाला था. नवरात्रि के पावन पर्व पर विदिशा में भी भक्तों द्वारा देवी मां के जयकारों की गूंज हर गली चौराहा में है. देवी मां का ये स्थान ऐसा है, जो कभी मंदिर नहीं बन सका. यहां मातारानी विराजी हैं, लेकिन मंदिर की कोई चहारदीवारी नहीं है. मातारानी खुले में ही वृक्ष की छांव में विराजी हैं. यह स्थान एक बगीचे के रूप में है. यही कारण है कि देवी के इस स्थान को देवी का बाग कहा जाता है.
पीतल की घंटी चढ़ाते हैं भक्त :प्राचीन काल से ही यह स्थान देवी भक्तों की आस्था का केन्द्र है. भक्त मां के सामने झोली फैलाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर यहां पीतल की घंटी चढ़ाते हैं. देवी मां का दरबार पीतल की घंटियों से भरा है. मां का खुला दरबार है. पेड़ की छांव में माता रानी के साथ ही हनुमान जी, गणेश जी भगवान की प्रतिमा और शिव परिवार भी मौजूद हैं. मां का यह दरबार सिद्ध स्थान है और यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. मां तो भाव की भूखी होती है, लेकिन फिर भी मान्यता के अनुरूप भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर यहां पीतल की घंटी चढ़ाते हैं.