भोपाल।एमपी की एक विधानसभा सीट ऐसी भी है, जहां का वोटर किसी महिला उम्मीदवार को कभी जिताकर विधानसभा नहीं भेजता. दरअसल विदिशा जिले की सिंरोज विधानसभा सीट एमपी की ऐसी पहली महिला सीट है, जहां की आधी आबादी भी यहां की महिला उम्मीदवार को जिताने में नाकाम रहीं. जबकि यह सीट विदिशा संसदीय क्षेत्र में आती है, जहां से रिकॉर्ड वक्त तक महिला सांसद सुषमा स्वराज रहीं.
विदिशा जिले की सिरोंज विधानसभा सीट: ये विधानसभा विदिशा जिले में आती है, लेकिन यहां की जनता का मिजाज कुछ अलग हैं. सिंरोज सीट एमपी की ऐसी सीट है, जहां पर आजादी से अब तक महिला को विधानसभा में नहीं उतारा है. यहां पर पुरुषों का ही बोलबाला रहा है. व्यापमं घोटाले में आरोपी रहे लक्ष्मीकांत शर्मा यहीं से जीतते रहे हैं, ये सीट जब सुर्खियों में आई तब व्यापमं घोटाले के तार लक्ष्मीकांत शर्मा तक जा पहुंचे और उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
सिरोंज सीट का सियासी इतिहास:सिरोंज विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही बीजेपी का गढ़ रहा है, आजादी के बाद अब तक 14 बार चुनाव में कांग्रेस सिर्फ तीन बार जीत हासिल कर पाई है. 1972 में इनायतुल्लाह खान विधायक बने थे, उसके बाद 1985 और 2013 में गोवर्धन उपाध्याय विधायक चुने गए. हिंदू महासभा और जनता पार्टी के बाद यहां से बीजेपी के प्रत्याशी विधायक बने, मध्य प्रदेश के गठन के बाद 1957 में हुए विधानसभा चुनाव में क्षेत्र से अखिल भारतीय हिंदू महासभा के मदनलाल विधायक बने इस क्षेत्र में सबसे अधिक बार चार बार स्व. लक्ष्मीकांत शर्मा विधायक रहे. इस बार चुनाव में भाजपा ने फिर उमाकांत शर्मा यानी उनके भाई को प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने गगनेंद्र सिंह रघुवंशी को उम्मीदवार घोषित किया है.
महिलाओं को नहीं मिली तवज्जो:वरिष्ठ पत्रकार सतीश एलिया का कहना है कि "अभी तक इस क्षेत्र में महिला विधायक का प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, कांग्रेस, सपा जैसी पार्टियों ने महिला उम्मीदवार को विधानसभा चुनाव में उतारा भी, लेकिन सत्ता दल भाजपा ने यह कोशिश अभी तक नहीं की है. विधानसभा चुनाव में से संवेदनशीलता बताकर दबंग शक्तिशाली प्रतिनिधि की आवश्यकता बताकर महिलाओं को घरों तक की सीमा में बांध दिया गया.