विदिशा। जिले के गंजबासौदा में स्थित पांच सौ साल पुराना बालाजी का मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र है. लोगों का कहना है कि यहां हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर में बालाजी की प्रतिमा श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती है. खास बात यह है कि इस मंदिर में निर्माण के समय से ही एक चमत्कारी पगड़ी रखी है. लोगों का कहना है कि पहले इस पगड़ी से रोज 5-6 चांदी के सिक्के निकलते थे, जिन्हें कलदार कहा जाता था.
500 साल पुराने बालाजी मंदिर में चमत्कारी पगड़ी कड़े नियमों का करना पड़ता है पालन
मंदिर के पुजारी ने बताया कि पगड़ी से निकलने वाले सिक्कों का इस्तेमाल कर ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता था, जिसे सदाव्रत कहा जाता था. वहीं मंदिर का जीर्णोद्धार भी इसी राशि से कराया जाता था. मंदिर में स्थित इस पगड़ी को छूने के लिए कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है. इस पगड़ी की पूजा गीले वस्त्र में ही की जाती है.
दीपावली के दूसरे दिन होता है अन्नकूट का आयोजन
पीढ़ी दर पीढ़ी मंदिर की पूजा करते आ रहे दुबे परिवार के सुरेश नारायण बताते हैं कि पहले किसी ने पगड़ी से निकलने वाले सिक्कों का इस्तेमाल किसी अन्य काम में कर लिया था और नियमों का पालन किए बिना पगड़ी को छू लिया था, जिसके बाद से सिक्के निकलना बंद हो गए. वहीं ब्राह्मणों को भोजन कराने की परंपरा दुबे परिवार द्वारा आज भी जारी है. साथ ही दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट का आयोजन किया जाता है, जिसमें आसपास के क्षेत्रों से लोग प्रसाद ग्रहण करने पहुंचते हैं. मंदिर की धरोहर इस पगड़ी को अब आम लोगों के दर्शन के लिए नहीं रखा जाता है, लेकिन मंदिर के सदस्यों ने ETV BHARAT को खास तौर पर पगड़ी के साक्ष्य वीडियो के रूप में कराए.
सिंधिया राजघराने द्वारा ग्वालियर स्टेट से मिलता था फंड
मंदिर के संरक्षक सुरेश नारायण बताते हैं कि मंदिर कितना पुराना है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर को सिंधिया राजघराने द्वारा ग्वालियर स्टेट से फंड मिलता था. इसका उपयोग मंदिर के जीर्णोद्धार और मंदिर की रखरखाव के लिए किया जाता था. वहीं वर्तमान में मध्यप्रदेश शासन से भी मंदिर के रखरखाव के लिए सहायता राशि मिलती है.
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