विदिशा। आज से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हुई है, जिसे पूरा देश हर्षोल्लास के साथ मना रहा है. देशभर में माता रानी कहीं पहाड़ों पर तो कहीं गुफाओं में विराजमान हैं, जिनकी विशाल मंदिरों में पूजा की जाती है. वहीं विदिशा जिला मुख्यालय में प्राचीन देवी बाग के नाम से एक स्थान ऐसा है, जहां कोई मंदिर नहीं है बल्कि खुले आसमान के नीचे माता देवी बाग में विराजमान हैं.
वृक्ष के नीचे विराजमान है देवी
मातारानी खुले इमली के वृक्षों की छांव में विराजी है, यह स्थान एक बगीचे के रूप में हैं. यही कारण है इसे 'देवी बाग' के नाम से जाना जाता है. आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ये लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. भक्त मां के सामने खाली झोली फैलाकर आते हैं और झोली भरकर यहां से लौटते हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि माता के दरबार से आज तक कोई भी खाली हाथ नहीं जाता. भक्तों की मनोकामना पूरी होने पर भक्त इस स्थान पर एक पीतल का घंटा बांधकर जाता है, यहां कई ऐसे घंटे बंधे हैं, जो खुद लोगों की मनोकामना पूरी होने की गवाही देते हैं.
ये है मंदिर की मान्यता
ऐसा माना जाता है कि यहां माता के लिए मंदिर का निर्माण किया जाता है, तो माता रानी उन दीवारों को अपने आप गिरा देती हैं. मंदिर के नाम पर यहां एक चबूतरा बना है, जिस पर नौ दिन तक भव्य पूजा अर्चना का दौर जारी रहता है. बताया जाता है कि सिंधिया रियासत के समय इस बाग का निर्माण कराया गया था, तब से लेकर आज तक यह स्थान लोगों की बड़ी आस्था का केंद्र बना हुआ है.