विदिशा।जिले में एक तरफ हर कोई कोरोना महामारी की मार झेल रहा है, तो वहीं दूसरी ओर टिड्डी दल भी किसानों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. ऐसे में शनिवार को विदिशा के गंजबासौदा में टिड्डियों के दल ने शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रवेश कर लिया है. जिसके कारण इन क्षेत्रों में खेतों में लगी कपास और चारे की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है.
गंजबासौदा में टिड्डी दल की दस्तक के साथ ही जिला प्रशासन सतर्क हो गया है. इस दौरान किसान पारंपरिक तरीके से टिड्डियों को भगा रहे हैं. गंजबासौदा के शहरी क्षेत्र में अचानक से टिड्डी दल की आमद से स्थानीय प्रशासन ने सतर्कता बरतने के साथ ही ग्रामीणों से टिड्डी दल से पारंपरिक तरीके से निपटने की अपील की है. हालांकि जून के महीने में खेत खाली पड़े हैं. जिसके कारण किसानों को नुकसान की आशंका नहीं सता रही है. लेकिन किसानों को डर है कि टिड्डी दल पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचा दें.
क्या होता है टिड्डी दल
टिड्डी दल झुंड में चलता है. एक झुंड में लाखों टिड्डियां हो सकती हैं. ये जहां भी जाते हैं. वहां की फसल, वनस्पति और पेड़-पौधों को मिनटों में चट कर जाते हैं. जब खेत में फसल होती है तो इनके आने से किसान चिंतित हो जाते हैं. क्योंकि ये फसलों के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं. इसलिए इन्हें भगाने के लिए किसान, जिला प्रशासन का अमला निरंतर प्रयास करता है. ऐसा देखने में आया है कि ये दल फसलों को मिनटों में चट कर जाता है.
पारंपारिक तरीके से भगाने के उपाए
इनका दल किसी इलाके में जब प्रवेश करता है तो सबसे पहले किसान इन्हें भगाने के उपायों के बारे में सोचता है ताकि वह फसल को इनके हमले से रोक सके. इसके लिए किसान पारंपारिक तरीके से भगाने की कोशिश करता है. जिसमें सायरन, हॉर्न, बर्तन की आवाजों की मदद से टिड्डी दल का भगाया जाता है.