विदिशा।आजकल लोग भोग, विलास और सुख सुविधाओं की जिंदगी जीते है. जिसके लिए उनकी कमाई या तनख्वाह भी कम पड़ जाती है. फिर वह भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश के विदिशा में 99 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी रघुवीर चरण शर्मा ने अपनी सम्मान निधि में मिले लाखों रुपए नगर में महापुरुषों की मूर्तियों को स्थापित करने, शहीदों की याद में शहीद ज्योति स्तंभ का निर्माण कराने और हिंदी सहित देश की अन्य भाषाओं के प्रचार प्रसार और उनके शोध के लिए हिंदी भवन बनाने में दान कर डाले. लेकिन शासन प्रशासन लापरवाही देखिये 2016 में स्वीकृत हिंदी भवन जिसका निर्माण कार्य प्रारंभ तो हुआ लेकिन 2017 में नगर पालिका ने बीच में ही काम रोक दिया. जिससे 1 साल में बना हिंदी भवन आज खंडहर हो गया है. उसमें भाषाओं के शोध की जगह एक परिवार निवास कर रहा है. भवन की हालत दिनों दिन खस्ता होती जा रही है. Azadi ka Amrit Mahotsav
स्वतंत्रता सेनानी की मंशा दरकिनार:2016 में रघुवीर चरण शर्मा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ट्रस्ट ने एक 3 मंजिला हिंदी भवन बनाने का प्रस्ताव विदिशा जिला प्रशासन के समक्ष रखा था. घुवीर चरण शर्मा ने हिंदी भवन का नक्शा एवं 10 लाख रुपए जिला प्रशासन को दिए थे. इस पर जिला प्रशासन ने प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए 15 लाख रुपए नगरपालिका से और 25 लाख रुपए जनभागीदारी से देने की घोषणा की थी. काम भी शुरू हो गया था. मंशा थी की हिंदी भवन बनने से हिंदी सहित समस्त भारतीय भाषाओं का अध्ययन और प्रचार प्रसार हो सकेगा. भाषाओं पर शोध होंगे, पुस्तकालय बनेगा. भाषाई संगोष्ठी आयोजित की जा सकेंगी. लेकिन 1 वर्ष काम चला और भवन की एक मंजिल बनने के बाद काम रुक गया. धीरे धीरे भवन खंडहर हो गया. भवन के सामने पार्क बनना था उसका काम भी शुरू नहीं किया गया. आज भवन पर कोई रहने लगा है और घटिया निर्माण के चलते भवन भी जर्जर हालत में हो गया है.
शहीद ज्योति स्तंभ भी उपेक्षा का शिकार: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुवीर चरण शर्मा इसकी शिकायत हर स्तर पर कर चुके है. लेकिन हर जगह से उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं. जिससे वे बहुत दुखी और निराश हैं. वहीं 2011 में उन्होंने शहीद ज्योति स्तंभ का निर्माण भी कराया था. जिसका शुभारंभ करने मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव आए थे. घटिया निर्माण के चलते उसकी दीवार भी कुछ वर्षो में ढह गई. कई बार शिकायत और आंदोलन की चेतावनी के बाद उसका निर्माण चालू हुआ जो पिछले 1 वर्ष से कछुआ गति से चल रहा है.