विदिशा/ बड़वानी/ डिंडोरी। विदिशा जिला मुख्यालय से लेकर जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में भी भीषण पेयजल संकट. पानी के लिए रोजाना लोगों के बीच विवाद हो रहे हैं. लोग अपनी जान तक जोखिम में डालकर पानी लाने को मजबूर हैं. जिले के सिरोंज तहसील के अंतर्गत धर्मपुर गांव में रहवासियों को पेयजल की पूर्ति करने के लिए युद्ध की तरह रोजाना संघर्ष करना पड़ता है. दरअसल, ग्रामीण क्षेत्र से रहवासी 4 से 5 किलोमीटर दूर जंगल में जाकर अपनी क्षमता से अधिक बर्तनों में पानी भरकर लाने को मजबूर हैं. महिलाएं बड़े-बड़े बर्तन सिर पर लेकर जाती हैं. जंगली जानवरों और अन्य समस्याओं से बचाव के लिए सुरक्षा के लिहाज से पुरुष लाठी लेकर उनके साथ जंगल जाते हैं. यह सिलसिला पिछले कई सालों से चला आ रहा है. महिलाएं बताती हैं कि कई बार पानी की समस्या इस तरीके से सामने आती है कि बच्चों को आधा गिलास पानी पिलाकर काम चलाना पड़ता है. झूठे बर्तन मांज नहीं पाते. ग्रामीण बताते हैं कि वोट पाने के लिए नेता लोग यहां आते हैं लेकिन जीतने के बाद दोबारा नहीं आते. धर्मपुर के छोटेलाल, गीता बाई, शोभाराम कहते हैं कि क्या करें कहीं कोई सुनवाई नहीं होती. पानी की ये समस्या यहां सालों से है.
पाइप लाइन है, लेकिन पानी नहीं :जिला मुख्यालय के टीलाखेडी क्षेत्र में नगर पालिका द्वारा सप्लाई किए जाने बाली पाइप लाइन बिछी है लेकिन पानी की पूर्ति नहीं हो पाती. यहां के रहवासी बताते हैं कि एक बड़ी आबादी को पानी लाने के लिए दूर से संघर्ष करना पड़ता है. नगरपालिका का टैंकर आते हैं लेकिन वह अपर्याप्त हैं. इस मामले में नगर पालिका सीएमओ सुधीर सिंह बताते हैं कि टीलाखेड़ी नगरी क्षेत्र का आखरी हिस्सा है. यहां पाइपलाइन आखिरी छोर पर जाती है. गर्मी के मौसम में शुरुआती क्षेत्र के लोग मोटर के जरिए पाइपलाइन से पानी खींच लेते हैं. इसकी वजह से टीलाखेडी तक पानी नहीं पहुंच पाता. उन्होंने बताया कि टीलाखेडी क्षेत्र में टंकी बनाने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है. अगले साल इस प्रकार की समस्या नहीं होगी.
डिंडौरी के अझवार गांव में मुनादी हुई :माता-बहनों सब सुनो, हैंडपंप बस स्टैंड में दो मटके ले जाओ पानी भरके. 2 मटके से 3-4 मटका लिया तो कार्रवाई होगी. बताया जाता है कि ये फैसला पंचायत ने सर्वसम्मति से लिया है. गर्मी का मौसम आते ही इलाके में जलसंकट गहराने लगा है. ऐसे में हैंडपंप और कुओं समेत सभी जलस्रोतों पर सभी जगह पानी भरने के लिए महिलाओं की लंबी-लंबी लाइनें लगने लगती हैं. कई बार तो इसके लिए लंबा इंतजार भी करना पड़ता है, लेकिन तब भी पानी नहीं मिल पाता. ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए ग्राम पंचायत ने ग्रामीणों के साथ एक बैठक की और सबको बराबर मात्रा में पानी उपलब्ध कराने के लिए सबकी सहमति से ये व्यवस्था बनाई. ग्राम पंचायत सरपंच भगत सिंह सांड्या ने इस व्यवस्था को शुरू करने का कारण बताते हुए कहा कि गांव में पानी की कमी है. ऐसे में लोग बहुत सारे डिब्बे लेकर पानी भरने आ जाते हैं, और जब तक उन सबमें पानी नहीं भर लेते तब तक किसी और को पानी नहीं भरने देते.