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ETV भारत EXCLUSIVE : MP में बूंद-बूंद के लिए संघर्ष, झरियों-गड्ढों से पानी की जुगाड़, खच्चरों से ढो रहे पानी, बहुएं घर छोड़ गईं - झरियों-गड्ढों से पानी की जुगाड़

राज्य सरकार कुछ भी दावे करे लेकिन मध्यप्रदेश के गांवों में भीषण पेयजल संकट है. हालात इतने खराब हैं कि महिलाओं को सात-आठ किमी दूर जाकर झरियों और गड्ढों से पानी की जुगाड़ करनी पड़ रही है. जंगल में पानी के महिलाएं सिर पर बर्तन रखकर चलती हैं तो जानवरों से सुरक्षा के लिए पुरुष लाठी-डंडे लेकर. खच्चरों को पानी ढोने के काम लगाया गया है. कई गांवों में पेयजल संकट इतना भीषण है कि बहुएं घर छोड़कर चली गईं. युवकों की शादी नहीं हो रही है. हालात इतने विकराल हो चले हैं कि नल से दो मटके से ज्यादा पानी नहीं भरने की मुनादी कराई जा रही है. (Heavy water crisis in MP) (Struggling for drop by drop in MP) (Jugaad of water from pits) (water being carried by mules) (daughters-in-law left home)

Heavy water crisis in MP
विदिशा जिले के गांवों में ये हाल

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Published : May 10, 2022, 3:18 PM IST

Updated : May 10, 2022, 3:39 PM IST

विदिशा/ बड़वानी/ डिंडोरी। विदिशा जिला मुख्यालय से लेकर जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में भी भीषण पेयजल संकट. पानी के लिए रोजाना लोगों के बीच विवाद हो रहे हैं. लोग अपनी जान तक जोखिम में डालकर पानी लाने को मजबूर हैं. जिले के सिरोंज तहसील के अंतर्गत धर्मपुर गांव में रहवासियों को पेयजल की पूर्ति करने के लिए युद्ध की तरह रोजाना संघर्ष करना पड़ता है. दरअसल, ग्रामीण क्षेत्र से रहवासी 4 से 5 किलोमीटर दूर जंगल में जाकर अपनी क्षमता से अधिक बर्तनों में पानी भरकर लाने को मजबूर हैं. महिलाएं बड़े-बड़े बर्तन सिर पर लेकर जाती हैं. जंगली जानवरों और अन्य समस्याओं से बचाव के लिए सुरक्षा के लिहाज से पुरुष लाठी लेकर उनके साथ जंगल जाते हैं. यह सिलसिला पिछले कई सालों से चला आ रहा है. महिलाएं बताती हैं कि कई बार पानी की समस्या इस तरीके से सामने आती है कि बच्चों को आधा गिलास पानी पिलाकर काम चलाना पड़ता है. झूठे बर्तन मांज नहीं पाते. ग्रामीण बताते हैं कि वोट पाने के लिए नेता लोग यहां आते हैं लेकिन जीतने के बाद दोबारा नहीं आते. धर्मपुर के छोटेलाल, गीता बाई, शोभाराम कहते हैं कि क्या करें कहीं कोई सुनवाई नहीं होती. पानी की ये समस्या यहां सालों से है.

विदिशा जिले के गांवों में ये हाल

पाइप लाइन है, लेकिन पानी नहीं :जिला मुख्यालय के टीलाखेडी क्षेत्र में नगर पालिका द्वारा सप्लाई किए जाने बाली पाइप लाइन बिछी है लेकिन पानी की पूर्ति नहीं हो पाती. यहां के रहवासी बताते हैं कि एक बड़ी आबादी को पानी लाने के लिए दूर से संघर्ष करना पड़ता है. नगरपालिका का टैंकर आते हैं लेकिन वह अपर्याप्त हैं. इस मामले में नगर पालिका सीएमओ सुधीर सिंह बताते हैं कि टीलाखेड़ी नगरी क्षेत्र का आखरी हिस्सा है. यहां पाइपलाइन आखिरी छोर पर जाती है. गर्मी के मौसम में शुरुआती क्षेत्र के लोग मोटर के जरिए पाइपलाइन से पानी खींच लेते हैं. इसकी वजह से टीलाखेडी तक पानी नहीं पहुंच पाता. उन्होंने बताया कि टीलाखेडी क्षेत्र में टंकी बनाने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है. अगले साल इस प्रकार की समस्या नहीं होगी.

विदिशा जिले के गांवों में ये हाल

डिंडौरी के अझवार गांव में मुनादी हुई :माता-बहनों सब सुनो, हैंडपंप बस स्टैंड में दो मटके ले जाओ पानी भरके. 2 मटके से 3-4 मटका लिया तो कार्रवाई होगी. बताया जाता है कि ये फैसला पंचायत ने सर्वसम्मति से लिया है. गर्मी का मौसम आते ही इलाके में जलसंकट गहराने लगा है. ऐसे में हैंडपंप और कुओं समेत सभी जलस्रोतों पर सभी जगह पानी भरने के लिए महिलाओं की लंबी-लंबी लाइनें लगने लगती हैं. कई बार तो इसके लिए लंबा इंतजार भी करना पड़ता है, लेकिन तब भी पानी नहीं मिल पाता. ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए ग्राम पंचायत ने ग्रामीणों के साथ एक बैठक की और सबको बराबर मात्रा में पानी उपलब्ध कराने के लिए सबकी सहमति से ये व्यवस्था बनाई. ग्राम पंचायत सरपंच भगत सिंह सांड्या ने इस व्यवस्था को शुरू करने का कारण बताते हुए कहा कि गांव में पानी की कमी है. ऐसे में लोग बहुत सारे डिब्बे लेकर पानी भरने आ जाते हैं, और जब तक उन सबमें पानी नहीं भर लेते तब तक किसी और को पानी नहीं भरने देते.

विदिशा जिले के गांवों में ये हाल

150 से ज्यादा युवकों की शादी नहीं :बड़वानी में लाइझापी गांव में भीषण पेयजल संकट से लोग जूझ रहे हैं. लोग सारे काम छोड़कर पानी की जुगत में लगे रहते हैं. गांववाले कहते हैं कि पानी संकट के चलते गांव की 10 से ज्यादा बहुएं घर छोड़कर चली गईं. 150 से ज्यादा युवकों की शादी नहीं हो रही. वहां के ग्रामीण देवराम कहते हैं कि 100-150 के लगभग लड़के कुंवारे हैं, 10 लड़कियां शादी के बाद मायके चली गई हैं.क्या करें पानी की परेशानी है. गांव में वृद्ध गियानी बाई कहते हैं कि सुबह 5 बजे उठकर 2-3 किलोमीटर जाना पड़ता है, कई घरों की टापरी है. नाले का पानी पीते हैं, क्या करें. बड़वानी जिले के गोलगांव, खैरवानी और सेमलेट में महिलाएं, झिरी और गड्ढों से पानी भर रहे हैं. खच्चरों में पानी ढोया जा रहा है. मासूम बच्चे भी सिर पर पानी के बर्तन रखकर ले जाने को मजबूर हैं.

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सरकार के सारे दावे खोखले :मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन का काम 2024 तक भी शायद ही काम पूरा हो पाए. क्योंकि 13 हजार गांवों की जमीन में पानी नहीं होने से सिंगल विलेज स्कीम अब तक नहीं बन पाई. पीएचई विभाग में कर्मचारी कम हैं और जहां बरसों से पानी नहीं है वो गांव आज भी उपेक्षा के ही शिकार हैं. सरकारी दावा है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 30,600 करोड़ रु. से अधिक की नल जल योजनाएं स्वीकृत की गई हैं. 2 साल में 6000 करोड़ रुपये खर्च कर 40% घरों तक नल का पानी पहुंच गया है. 4270 से अधिक गांवों में 100% नल-जल का कनेक्शन दिया जा चुका है. 48,75,000 घरों में नल कनेक्शन पहुंच गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में 5.57 लाख हैंडपंप हैं, जिसमें 95.80% हैंडपंप चालू हैं, और 16,915 नल जल कनेक्शन मिल गये हैं.

Last Updated : May 10, 2022, 3:39 PM IST

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