विदिशा।आज 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है. हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी आज भी धरती पर लोगों के कष्टों को दूर करने के लिए हैं. वैसे तो हनुमान जी के देश में कई मंदिर हैं. लेकिन उनमें से कुछ ऐसे मंदिर है, जिनकी काफी मान्यता है और ऐसा माना जाता है कि उनमें दिव्य शक्ति का वास है. विदिशा में चमत्कारिक सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर है. इस मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को हजारों श्रद्धालु आते हैं.
100 साल पहले चमत्कारिक रूप से प्रकट हुए हनुमान जी:धर्माधिकारी पं. गिरधर गोविंद प्रसाद शास्त्री ने बताया कि, सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर से एक रोचक कथा जुड़ी हुई है. 100 साल पहले उनके दादा पं. उमाशंकर शास्त्री ने इस मंदिर का निर्माण कर चमत्कारिक रूप से प्रकट श्री हनुमान जी की प्रतिमा की स्थापना कराई थी. पं. उमाशंकर शास्त्री एक आसन से 22 घंटे में अखंड रामायण का पाठ एवं एक आसन से हनुमान चालीसा के 108 पाठ करके हनुमान जी की दिव्य आराधना किया करते थे. उन्हें हनुमान जी का इष्ट प्राप्त था.
21 दिन की खुदाई के बाद मिली विशाल प्रतिमा:100 साल पहले मंगलवार की रात्रि में हनुमान जी ने पं. उमाशंकर शास्त्री को स्वप्न दिया. वेत्रवती नदी के राम घाट के पास दो आम के वृक्ष लगे हुए हैं. उन वृक्षों के बीच, 11 हाथ के नीचे मेरी प्रतिमा है. उस प्रतिमा को वहां से निकालो और यहां स्थापित कराओ. उमाशंकर शास्त्री ने विदिशा के कई लोगों को साथ लेकर, हाथों से खुदाई कराई. 21 दिन तक निरंतर खुदाई के बाद, बाल रूपी हनुमान जी की विशाल प्रतिमा प्राप्त हुई.