विदिशा। पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक बधिर गीता के परिवार का पता लगाने के लिए जीआरपी ने कोशिश शुरू कर दी है. गीता के माता पिता की तलाश हो सके, इसके लिए स्टेशनों और ट्रेनों में गीता की फोटो चस्पा की जा रही है. विदिशा रेलवे स्टेशन के अलग-अलग हिस्सों में और यहां से गुजरने वाली तमाम ट्रेनों में गीता की तस्वीर और उससे जुड़ी जानकारी चस्पा की जा रही है, ताकि उसके माता पिता और उसके मूल निवास का पता लगाया जा सके. कुछ सालों पहले पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज के प्रयासों से गीता को पाकिस्तान से 2015 में भारत लाया गया था. कई सालों बाद भी उसके मूल निवास और माता-पिता का पता नहीं चल सका.
गीता के परिवार की तलाश में जुटी GRP, रेलवे स्टेशनों- ट्रेनों पर किया फोटो चस्पा
पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक बधिर गीता के परिवार का पता लगाने के लिए जीआरपी ने एक बार फिर कोशिश शुरू कर दी है. गीता के माता पिता की तलाश हो सके, इसके लिए स्टेशनों और ट्रेनों में फोटो चस्पा किया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक, गलती से सीमा पार गई गीता 10 साल से वहां फंसी हुई थी. गीता जब 10-11 साल की थी, तब भारत- पाकिस्तान सीमा के पास पाकिस्तान रेंजर्स को मिली थी. गीता ने 10 साल से ज्यादा वक्त पाकिस्तान में गुजारा, हालांकि ये पता नहीं चल सका कि, वो सरहद पार करके पाकिस्तान कैसे पहुंची.
गीता को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में गूंगे-बहरे बच्चों के एक संस्थान में भेज दिया गया. इंदौर में मूक बधिर बच्चों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन 'आनंद सर्विस सोसायटी' की मदद भी ली गई. वर्तमान में भी गीता इंदौर के संस्थान में ही रह रही है.