विदिशा। कोविड की दूसरी लहर ने कई लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है. कोरोना ऐसा दर्द दे गया जो जिंदगी भर तक नहीं भुलाया जा सकता. ऐसी ही दर्द भरी कहानी गंजबासौदा से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम करौंदा कला से सामने आई है. यहां कोरोना के चलते अहिरवार परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पडा. 9 बेटियों के सिर से पिता का साया हमेशा- हमेशा के लिए उठ गया. ग्यारसीलाल अहिरवार अपनी पांचवी बेटी का रिश्ता पक्का होने के बाद शादी की तैयारियां कर रहे थे. 14 मई को उनके घर बारात आना थी, लेकिन ठीक 11 मई को ग्यारसीलाल, कोविड की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई. जिसके बाद खुशियां मातम में बदल गई और इस परिवार के यहां अब कोई कमाने वाला भी नहीं है. शादी को भी अब आगे के लिए बढ़ा दिया है, भाई भी नहीं है. ऐसे में बच्चियां अब सरकारी मदद की दरकार देख रही है.
कोरोना ने छीनी खुशियां
विदिशा जिले के ग्राम करौंदा कला में रहने वाला यह परिवार दुखों से जूझ रहा है. पिता की मौत के बाद परिवार पूरी तरह टूट गया है. 58 साल के ग्यारसीलाल अहिरवार की 11 मई को कोरोना संक्रमण की चपेट के आने के बाद विदिशा के मेडिकल हॉस्पिटल में मौत हो गई थी. जबकि 3 दिन बाद ही अक्षय तृतीया के दिन पांचवी नंबर की बेटी संगीता की बारात उनके घर आना थी. घर में खुशियों का माहौल था, महीने भर पहले से ही ग्यारसीलाल और उनकी 9 बेटियां शादी की तैयारियां कर रही थी. घर में मंगल गीत गाए जा रहे थे, घर के मुखिया ग्यारसीलाल सामान खरीदने के लिए हर दिन बाजार और शहर के बाहर जा रहे थे. उसी बीच ग्यारसीलाल संक्रमित हो गए और शादी की तैयारी के बीच ही उन्हें बहुत तेज बुखार आ गया.
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नहीं सुधरी हालात और तोड़ दिया दम