विदिशा ।प्रदेश सरकार भले ही खेती को लाभ का व्यवसाय बता रही हो, लेकिन यह कितना सार्थक हो रहा है इसका उदाहरण विदिशा जिले में देखने को मिल रहा है. अन्नदाता को एक बार फिर प्राकृतिक मार झेलने को मजबूर हैं. जिले भर में सैकड़ों हैक्टेयर सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है. किसान भी अपनी किस्मत को कोस रहा है, जिले में बारिश ने कहीं तबाही मचा दी, तो कहीं पानी की एक बूंद भी नहीं पड़ी, जिससे सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है. जिले के नटेरन में एक किसान को जब कोई मुनाफा होते नहीं दिखाई दिया तो उसने 32 बीघा के खेत मे मवेशियों को छोड़ दिया. किसान का कहना है कि उसे तो नुकसान हो ही गया, मवेशियों का पेट भर जाए तो भगवान की कृपा से अगली फसल अच्छी होगी.
तहसील नटेरन में 65 साल के किसान खिलान सिंह हर साल 32 बीघा जमीन में सोयाबीन की खेती करते हैं. घर के सभी चार सदस्य खेती पर निर्भर हैं. बीते तीन साल से लगातार प्राकृतिक आपदा के चलते फसल बर्बाद हो रही है. इस बार भी पानी नहीं मिलने से पूरी फसल चौपट हो गई है. सोयाबीन में जो फली लगी वो पूरी तरह सड़ गई है, कहीं फली आई तो उसमें दाना नहीं आ पाया है. खेती के लिए खिलान ने दो लाख रुपए का कर्जा लिया था और कुछ बीज की दुकान का भी कर्ज है. फसल बोने में जितनी लागत लगाई थी, वो भी नहीं निकली. ऐसे में खिलान को अब कर्ज चुकाने की चिंता सताने लगी है.