विदिशा। भारतीय पुरातत्व विभाग पर्यटकों को लुभाने के लिए अरबों रुपये खर्च करता है, इसके बावजूद पुरानी संपदाएं गंदगी की चपेट में हैं. यहां आने वाले पर्यटक भारत की गंदगी भरी छवि लेकर लौटते हैं. 2500 साल पुरानी विदिशा की उदयगिरी की गुफाएं पहले चैत्यगिरी के नाम से जानी जाती थीं, उसका भी यही हाल है. मौजूदा वक्त में यहां जो विदेशी सैलानी आते हैं वो पुरानी संपदाओं के साथ गंदगी की छवि लेकर यहां से लौटते हैं.
गंदगी की चपेट में उदयगिरी की गुफाएं, नींद में सो रहा स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग - गंदगी
उदयगिरी की पहाड़ियों के चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है. विदेशी पर्यटक इस ही गंदगी की तस्वीरें खींचकर ले जाते हैं. इस ओर न तो प्रशासन का ध्यान और न ही पुरातत्व विभाग ध्यान दे रहा है.
उदयगिरी की पहाड़ियों के चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है. या यूं कह सकते हैं कि पहाड़ी गंदगी की चपेट में पूरी तरह से है. उदयगिरी की पहाड़ी ग्राम उदय गिरी में आती है. पूरे ग्राम के अलावा शहर के आसपास का कचरा यहां डंप किया जाता है. इस ओर न तो स्थानीय प्रशासन का ध्यान जा रहा है न ही पुरातत्व विभाग का.
घूमने आए पर्यटक भी मानते हैं कि भोपाल से लेकर विदिशा तक के रास्ते में बहुत गंदगी है. उदयगिरी के पास गंदगी ही गंदगी दिखती है. स्थानीय निवासी पन्ना लाल कहते हैं कि कई सालों से यहां गंदगी का अम्बार लगा हुआ है. विदेशी पर्यटक इस ही गंदगी की तस्वीरें खींचकर ले जाते हैं. जब विदिशा एसडीएम से इस बारे में पूछा गया, तो वह गंदगी का ठीकरा पुरातत्व विभाग पर फोड़ते नजर आए.