उमरिया। एसईसीएल की विंध्या कालरी में अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. आरोप है कि प्रबंधक और सर्वेयर की मिलीभगत से ठेकेदार को ऐसे कई कामों का फर्जी तरीके से भुगतान कराया गया है जो असल में हुए ही नहीं हैं. ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि विंध्या खदान के सीनियर ड्राफ्समेन सोमचंद्र पटेल ने लगाए हैं. उन्हे इस मामले मे एक लिखित शिकायत कर महाप्रबंधक से जांच व कार्रवाई की मांग की है.
पिलर 189 भुगतान 407 का
बताया गया है कि 2019-20 मे स्वीकृत डिप्लेयरिंग कार्य के तहत पैनल सीएम 6 में मात्र 189 सबस्डिेंस पिलर बनवाए गये हैं, जबकि ठेकेदार को इससे दोगुना यानी 407 सब्सिडेंस पिलर का भुगतान कर दिया गया. खास बात यह है कि डाइरेक्टर जनरल ऑफ माइन्स सेफ्टी (डीजीएमएस) ने प्रबंधन को मात्र 97 पिलर चलाने की ही अनुमति दी थी.
बदल दी साइज
इसके अलावा डीजीएमस द्वारा 7 जून 2019 को जारी अनुमति मे पैनल सीएम 6 का साइज 275-185 दर्शाया गया था, जहां किसी प्रकार का जंगल नहीं था, पर ठेकेदार को को 620-240 साइज तथा इसके 10 प्रतिशत भाग मे जंगल की सफाई का भुगतान भी कर दिया गया. इस स्थान पर जंगल की जगह किसानों की जमीने मौजूद हैं. यह भी बताया गया कि प्रबंधन द्वारा सीएम 6मपैनल मे क्रेक/सब्सिडेंस फिलिंग के नाम से ठेकेदार को 5 लाख 30 हजार एक रूपए का भुगतान फर्जी तरीके से कराया गया, ऐसा कोई भी काम मौके पर हुआ ही नहीं.