विदिशा। विदिशा पहले कभी इतना शांत नहीं रहा, जितना आज है. बाजार खाली, सड़कें सुनसान, मोहल्ले वीरान हैं. लोग दरवाजों के पीछे छिपे और रास्तों पर रुके बैठे हैं. ये शहर जानता है कि मौत भेष बदल कर शहर में घूम रही है. रमजान के दिनों में यहां के बाजार गुलजार रहते थे, मगर आज बेनूरी की चादर में समाए दिखते हैं. जो सड़कें वाहनों के शोर से गुलजार रहती थी, वो आज खामोश हैं. क्या तिराहे क्या चौराहे सब गहरे सन्नाटे की आगोश में गुम हैं.
सन्नाटे की आगोश में विदिशा विदिशा का बस स्टैंड
यहां 24 घंटें लोगों की चहल पहल रहती थी, आज वो भी खामोश है. बसों के पहिए थम चुके हैं. उन्हीं के साथ थम गई है भागती दौड़ती जिंदगी. नीमताल चौराहे पर खड़े शांत महात्मा गांधी भी कोराना काल में मास्क लगाए दिख रहे हैं. यहां अक्सर जोर जुल्म की टक्कर से संघर्ष हमारा नारा है की गूंज सुनाई पड़ती थी.
थम गई शहनाई और सायरनों की आवाज
जो ईदगाह चौराहा हूटरों की आवाज से गूंजा करता था, आज खामोश है. ये बत्ती भी समझ चुकी है कि वक्त का पहिया थम गया है. इस चौराहे की खामोशी में यहां कोई मौजूद है तो वो मुंह पर मास्क लगाकर शांति का संदेश देते स्वामी विवेकानंद. जिन होटलों और गार्डनों में शहनाई की धुन पर लोग नाचते, गाते और झूमते थे. जहां सात फेरों में बंधकर जोड़े कसमे वादों की रस्में अदा करते थे, आज वो शहनाई गार्डन शांत है.
मैरिज गार्डनों में थमी शहनाइयों की गूंज कलेक्टर-एसपी कार्यालयों में पसरा सन्नाटा
पुलिस अधीक्षक कार्यालय जहां जिले भर के लोग आये दिन आवेदन, निवेदन और इंसाफ की गुहार लगाने आते थे. देहात हो या शहर, किसान हो या व्यापारी सभी की समस्या का निदान करने वाला पुलीस अधीक्षक कार्यालय आज शांत है.
बाजार और चौराहों पर पसरा सन्नाटा
विदिशा बाजार के बीचो-बीच तिलक चौक जहां कभी व्यापारियों की आवाज गूंजती थी. बच्चों के खिलौने, किताब और फल के ठेले लगते थे. आज इस चौक की सड़कें कोरोना से लड़ने और लॉकडाउन का पालन करने का संदेश दे रही हैं.
स्टेशन का शोर और मंदिर की घंटी है मौन
रेलवे स्टेशन पर कभी कभार सिर्फ मजदूर मुसाफिर दिखते हैं, यात्रियों का शोर-शराबा मंदिर की आरती की गूंज, शहर वासियों का शोरगुल सब गुम है. विदिशा की मशहूर कमल टी स्टाल पर अब जिले से लेकर केंद्र और केंद्र से लेकर राज्य, भाजपा-कांग्रेस की बहस अब इस चौराहे पर नहीं होती. यहां की कुर्सी टेबल खाली है. यहां अब कोई बहस नही होती. यहां कोई नजर नहीं आता, बल्कि पीली कलर से पुते बैरिकेड्स लोगों को रुकने का सन्देश देते हैं.
जैन कॉलेज के किक्रेट टूनार्मेंट की दूर दूर तक सुनाई देने वाली तालियों की गड़गड़ाहट जैन कॉलेज में छात्रों का जमावड़ा आज वीरानी में तब्दील है. भगवान भी लॉकडाउन के कारण मंदिरों में कैद हैं. शहर समझ चुका है कि ये भी वक्त है जो जल्द गुजर जायेगा. जिंदा रहने का जज्बा एक बार फिर वो रौनक लेकर आएगा.