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Umaria Krishna Janmashtami 2022 ऐसा मंदिर जहां साल में सिर्फ एक बार लोगों को दर्शन के लिए दी जाती थी एंट्री, इस बार नहीं होंगे दर्शन

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Published : Aug 18, 2022, 2:22 PM IST

Updated : Aug 18, 2022, 3:09 PM IST

MP के शहडोल संभाग के उमरिया स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ऐतिहासिक बांधवाधीश मंदिर में इस बार श्रद्धालु के प्रवेश पर बार रोक प्रबंधन ने रोक लगाई गई है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लंबे समय से लगातार हाथियों के बढ़ते मूवमेंट को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से नो एंट्री का फैसला लिया गया है. जिससे भक्तों में भारी निराशा है, इसका मुख्य कारण यह है क्योंकि साल में एक बार ही यहां जाने के लिए आम लोगों को मिलता था. Umaria Krishna Janmashtami 2022

Umaria Krishna Janmashtami
उमरिया बांधवाधीश मंदिर

शहडोल। शहडोल संभाग के उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इस बार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ऐतिहासिक बांधवाधीश मंदिर में मेले का आयोजन नहीं होगा. मतलब आम लोगों को एंट्री नहीं दी जाएगी. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के प्रबंधन ने यह जानकारी दी है. इस फैसले को लेने की वजह प्रबंधन ने इस क्षेत्र में जंगली हाथियों का मूवमेंट होना बताया है. Umaria Bandhwadhish Temple

अद्भुत है बांधवाधीश मंदिर

अद्भुत है बांधवाधीश मंदिर: उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के घनघोर जंगल में सुरम्य वादियों के बीच पहाड़ में स्थित है, अद्भुत बांधवाधीश मंदिर. इस मंदिर में राम जानकी विराजे हैं. इस मंदिर में हर जन्माष्टमी में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता था और दूर-दूर से लोग मंदिर पहुंचकर दर्शन करने आते थे. मेले का आयोजन होता था, जन्माष्टमी के दिन यहां भक्तिमय उत्सव का माहौल होता था. ताला गेट से पहाड़ के ऊपर मंदिर तक श्रद्धालु पैदल जाकर भगवान के दर्शन कर प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद लेते थे और इस मौके को लोग नहीं छोड़ते थे. क्योंकि साल में एक बार ही यहां जाने के लिए लोगों को मिलता था. लेकिन इस बार 19 अगस्त को होने वाली कृष्ण जन्माष्टमी में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बांधवाधीश मंदिर में होने वाले मेले के आयोजन को रोक दिया है. यह फैसला लिया गया है कि, मंदिर में मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा, जिसके बाद श्रद्धालुओं में निराशा है. Umaria Krishna Janmashtami 2022

भगवान विष्णु की अद्भुत मूर्ति

गजराज की दहशत: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ सालों से हाथियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बार हाथी आते तो हैं, लेकिन यहां अच्छा माहौल पाने के बाद वापस नहीं जाते. बांधवाधीश मंदिर के आसपास इन दिनों हाथियों के लगातार मूवमेंट को देखते हुए पार्क प्रबंधन आम लोगों को इस बार कृष्ण जन्माष्टमी में प्रवेश नहीं दे रहा है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक बीएस अन्नीगेरी ने आदेश जारी करते हुए श्रद्धालुओं से अपील भी की है कि, बांधवाधीश मंदिर के आसपास हाथियों का मूवमेंट है. हाथियों के मूवमेंट के चलते बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कोई भी श्रद्धालु प्रवेश ना करें और सहयोग प्रदान करें. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक बीएस अन्नीगेरी ने बताया कि, बांधवगढ़ किले और उसके आसपास के क्षेत्र में जंगली हाथियों का मूवमेंट है. आज भी लगभग 10 हाथी वहां देखे गए हैं, ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए इस बार जन्माष्टमी पर मेले व धार्मिक आयोजन और आम नागरिकों के प्रवेश को स्थगित कर दिया गया है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों से राय लेकर यह फैसला लिया गया है. हाथियों के मूवमेंट को देखते हुए अधिकारी कर्मचारी वहां लगातार निगरानी बनाए हुए हैं. Umaria Bandhwadhish Temple

बांधवाधीश मंदिर में इस साल भक्तों के प्रवेश पर रोक

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साल में सिर्फ एक बार ऐसा मौका आता है: प्रबंधन के इस फैसले के बाद जन्माष्टमी के दिन बांधवाधीश मंदिर में जाकर दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बड़ा झटका लगा है. दरअसल आम लोगों को इस मंदिर में जाने का साल में सिर्फ एक बार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही मौका आता है. कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. इस दिन बांधवगढ़ नेशनल पार्क के गेट भक्तों के लिए पूरी तरह से खोल दिए जाते थे. भक्तगण लगभग 8 किलोमीटर की ट्रैक पैदल पार कर किले के पास पहुंचते थे. जहां किला के अंदर राम जानकी मंदिर में भगवान के दर्शन करने पहुंचते थे. Ram Janaki Mandir Bandhwadhish Umaria

जन्माष्टमी पर भारी तादाद में आते है भक्त

हजारों साल पुराना है किला: कुछ इतिहासकारों और धार्मिक जानकारों की मानें तो, बांधवगढ़ का ये किला लगभग 2000 वर्ष पहले बनाया गया था. जिसका जिक्र शिवपुराण में भी मिलता है. इस किले को रीवा के राजा विक्रमादित्य सिंह ने बनवाया था. किले में जाने के लिए मात्र एक ही रास्ता है, जो बांधवगढ़ नेशनल पार्क के घने जंगलों से होकर ही गुजरता है. इस किले को लेकर एक किवदंती भी है कि, इस किले के नाम के पीछे भी पौराणिक गाथा भी है जनश्रुति है कि भगवान राम वनवास से लौटने के बाद अपने भाई लक्ष्मण को ये किला भेंट किया था. पुराण और शिव संहिता में भी इस किले का वर्णन मिलता है. बांधवगढ़ की जन्माष्टमी सदियों पुरानी है, पहले ये रीवा रियासत की राजधानी हुआ करती थी. तभी से यहां जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता रहा है और आज भी इलाके के लोग उस परंपरा का पालन कर रहे हैं. Umaria Krishna Janmashtami 2022

भगवान विष्णु की अद्भुत मूर्ति: बांधवाधीश मंदिर जाने पर पहला पड़ाव शेष शैय्या का पड़ता है. जहां भगवान विष्णु की अद्भुत मूर्ति के दर्शन होते हैं. जिसे देखकर हर कोई अचंभित हो जाता है. यहां भगवान विष्णु की लेटी हुई विशाल पत्थर की अद्भुत मूर्ति है, जिसे शेषसैया के नाम से जाना जाता है और लोग इसका दर्शन लाभ करने के लिए भी उस दिन पहुंचते हैं. शेषसैया के पास एक छोटा सा कुंड है, जहां से ठंडा पानी अविरल बहता रहता है. यहां पर साल भर पानी की एक अविरल धारा उनके पैर से आती है और तालाब में एकत्रित होती है. यहां पर कई विशाल दरवाजे स्थित हैं, जिनका निर्माण किले की सुरक्षा के लिए किया गया था. इन दरवाजों को पार करने के बाद ही श्रद्धालु राम जानकी मंदिर पहुंचते हैं.

Last Updated : Aug 18, 2022, 3:09 PM IST

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