उमरिया।एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेट प्राप्त फिटनेश ट्रेनर और न्यूट्रीशन एक्सपर्ट आदिवासी कला के क्षेत्र में निपुण हो सकता है. वह भी इस दर्जे कि आदिवासियों की खोई हुई कला को स्थापित करने के लिए नए कलाकार भी तैयार करने लगे. इन्हीं क्षमताओं का परिचय देते हुए उमरिया के निमिष स्वामी ने जनगण तस्वीरखाना का संचालन अपने चाचा की मृत्यु के बाद भी जारी रखा. इतना ही नहीं उमरिया जैसे छोटे जिले की इस कला को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा दिया. निमिष स्वामी ने अपनी इस यात्रा को जारी रखने के लिए अपनी यूपीएससी की पढ़ाई भी छोड़ दी.
आदिवासी कलाकारों को दिलाया सम्मान
जी हां आज भी ऐसे युवाओं की कमी नहीं है. जो अपने बड़ों के सपनों को पूरा करने के लिए उनकी जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर उठा लेते हैं. इतना ही नहीं अपने करियर की धूरी भी बदल लेते हैं और उन जिम्मेदारियां को पूरा करने में जुट जाते हैं. जो बुजुर्ग उनके सहारे छोड़ गए हैं. ऐसे ही एक युवा निमिष स्वामी ने आदिवासी बैगा चित्रकारी के क्षेत्र में अपने चाचा के छोड़े गए कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठा ली है. इस जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी निभाया और आदिवासी कलाकार को महिला शक्ति सम्मान और पदमश्री सम्मान तक दिलवा दिया.
भूमिजन प्रदर्शनी में थे उमरिया के चार कलाकार