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गायों के लिए कब्रगाह बनती Madhya Pradesh की गौशालाएं. आखिर क्यों हो रही है नंद गौशाला में गोवंश की मौत? - नंद गौशाला

लाखों की लागत से Madhya Pradesh के उमरिया में गौशाला का निर्माण हुआ. 15 लाख रुपए की लागत से चरागाह और 27 लाख रुपए की लागत से नंद गौशाला. लेकिन दोनों का ही अब हाल बेहाल है. यहां महज 4 माह में 7 गायों की मौत हो चुकी है और गौशाला के प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Nand Gaushala
नंद गौशाला

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Published : Dec 13, 2020, 1:37 PM IST

उमरिया। वैसे तो Madhya Pradesh में शिवराज सरकार ने 5 कैबिनेट मंत्रियों के साथ मिलकर देश की पहली गौ-कैबिनेट का गठन किया. प्रदेश के पहले गौ-अभयारण्य में वर्चुअल बैठक के बाद सीएम का गौशाला में फिजिकल दौरा भी हुआ. मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बना, जहां गौ-कैबिनेट का गठन हुआ. बीजेपी का मानना हैं कि, गाय, गीता और गंगा भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं, लेकिन उमरिया जिले में ग्राम पंचायत स्तर पर बैठे अधिकारी प्रदेश सरकार की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं. मामला गौशालाओं के संचालन का है.

गायों की हो रही मौतें

बीरसिंहपुर पाली जनपद अंतर्गत मुदारिया पंचायत के कुमुर्दू गांव में शक्ति स्व-सहायता समूह को नंद गौशाला संचालन की चाबी सौंपी गई थी. समिति की अध्यक्ष आशा बाई सहित 13 महिलाओं को आस थी कि गौ-माता की सेवा के साथ-साथ दो पैसे भी हाथ आयेंगे, जिससे परिवार का अच्छे से पालन-पोषण होगा. शुभारंभ के मात्र 4 माह बाद ही जिम्मेदार अधिकारियों ने गौशाला से मुंह मोड़ लिया.

क्या हैं नन्द गौशाला

निराश्रित पशुओं को शहर की गलियों से हटा कर एक आश्रय मिल जाए और नन्द गौशाला के माध्यम से स्व-सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार मिले. इसी परिकल्पना सरकार के साथ इस गौशाला को बनाया गया. परिकल्पना को साकार करने के लिए कुमुर्दू गांव में 27 लाख 71 हजार रुपये की लागत से नंद गौशाला और 15 लाख रुपये की लागत से चरागाह का निर्माण हुआ.

मजदूरी नहीं तो कामगार गायब

समिति अध्यक्ष आशा बाई ने कहा कि सचिव उनकी समिति से जुड़े सदस्यों को समय पर भुगतान नहीं करते. जबकि पास के मुदरिया गांव से मजदूरों को लाकर काम करवाया जाता है और उन्हें समय से भुगतान भी हो जाता है. आशा बाई का कहना है कि उन लोगों को भी समय पर पैसे मिलें तो बंद नहीं होगा. उन्होंने बताया कि सचिव लागातार लापरवाही करते हैं. समय पर मास्टर रोल तो भरा जाता है, लेकिन फिर भी पूरा पैसा नहीं मिल पाता. यही कारण है कि गोवंश को लेकर गौशाला में लापरवाही की शिकाएतें आती हैं.

समिति के सदस्यों को नहीं हो रहा भुगतान

शक्ति स्व-सहायता समूह में अध्यक्ष सहित 13 महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने बताया कि नन्द गौशाला का संचालन शुरू हुए 4 माह हो गए हैं. हमें बताया गया था कि हर 12 दिन में समिति को पैसे मिल जायंगे, पर आज तक काम के नाम पर एक रुपया नसीब नहीं हुआ. इसी वजह से लोगों ने गौशाला में आना-जाना बंद कर दिया.

4 माह में 7 गायों की हुई मौत

जुलाई से शुरू हुई नन्द गौशाला में महज 4 माह में 7 गायों की मौत हो गई. समिति की अध्यक्ष आशा बाई ने बताया कि जिन गायों की मौते हुई हैं, वह गौशाला में आकार ही बीमार पड़ी थीं. वजह सही मात्रा और क्वालिटी का भूसा नहीं मिलना है. प्रति माह एक से ज्यादा की मौत का आंकड़ा गौ-सेवकों के बीच चिंता का विषय है.

भवन की गुणवत्ता खराब

27 लाख रुपये की लागत से बने भवन के गोडाउन में फर्श तक नहीं. समिति की अध्यक्ष की माने तो भवन हैंडओवर करते समय फर्श नहीं बनी थी. इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को भी दी गई, लेकिन अभी तक यहां फर्श नहीं बना. वहीं बायोगैस प्लांट के नाम पर सिर्फ ईटों की जुड़ाई कर टंकी बना दी गई. महज 4 माह में ही जगह-जगह से भवन में दरारें पड़ने लगी हैं.

रोड पर भटक रही गाय

गौशाला प्रबंधन द्वारा शहर में घूम रही गायों को गौशाला में आसरा देने के दावे भी कोरे साबित हो रहे हैं. सैकड़ों बीमार और बेसहारा गाय सड़कों पर भटक रही हैं. इन गायों को आसरा देने के लिए नगर पालिका ने कोई कदम नहीं उठाए, जिसकी वजह से दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं.

अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला

पंचायत सचिव ने अधिकारियों पर जबावदारी की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. वहीं इस पूरे मामले में अनुविभागीय अधिकारी नेहा सोनी ने कहा कि दो से तीन दिनों में समस्याएं खत्म हो जाएंगी.

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