उमरिया। बीरसिंहपुर पाली जनपद अंतर्गत मुदारिया पंचायत के ग्राम कुमुर्दू में बनी गौशाला शक्ति स्व-सहायता समूह को नंद गौशाला संचालन की चाबी सौंपी गई थी. समिति की अध्यक्ष आशा बाई सहित समिति की 13 महिला सदस्यों को आस थी, कि गौमाता की सेवा के साथ-साथ दो पैसे भी हाथ में मिलेंगे. जिससे परिवार का पालन पोषण हो सकेगा. लेकिन शुभारंभ के मात्र 4 माह में अंदर ही समिति की महिलाओं का मोह भंग हो गया. राजनीति के केंद्र बिन्दु में रहने वाली गौमाता भी अगर कुछ बोल पाती तो जरूर बताती की कैसे जिम्मेदार अधिकारियों ने नन्द गौशाला का शुभारंभ करके मुंह मोड़ लिया. जो 15 लाख की लागत से तुमन हमारे लिए चारगाह बनाए हैं, यदि वहां कुछ उगा हो तो बड़ी मेहरबानी होगी. हालत बहुत खराब है. नन्द गौशाला की दीवारें उन्हें किसी जेल खाने से कमतर नही लग रही हैं.
क्या है नन्द गौशाला
निराश्रित पशुओं को शहर की गलियों से हटा कर उन्हें एक आश्रय मिल जाए और नन्द गौशाला के माध्यम से स्व सहायता समूह की महिलाओं के ग्रामीण रोजगार के निर्मित हों. सरकार की ऐसी परिकल्पना थी. इस परिकल्पना को साकार करने के लिए उमरिया जिले के कुमुर्दू गाांव में 27 लाख 71 हजार रुपये की लागत से नंद गौशाला और 15 लाख की लागत से चारगाह का निर्माण किया गया.
समिति की सदस्यों को नहीं हो रहा है भुगतान
शक्ति स्व सहायता समूह में अध्यक्ष सहित 13 महिलाएं हैं. सदस्यों ने ईटीवी से आपबीती बताते हुए कहा की नन्द गौशाला का संचालन शुरू हुए 4 माह होने को हैं. हमें यह बताया गया था कि हर 12 दिन में समिति को पैसे मिल जाएंगे. पर आज तक हमे काम के नाम पर एक पैसे नसीब नहीं हुए हैं. हमने आना भी बंद कर दिया है.