उमरिया। आदिवासी चित्रकला के लिए मशहूर मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले उमरिया की निवासी बैगा महिला चित्रकार जोधइया बाई का नाम पद्मश्री के लिए प्रस्तावित किया गया है. 80 वर्षीय जोधइया बाई के बनाए चित्र देश के साथ ही अमेरिका, जापान, इटली, इंग्लैड और फ्रांस जैसे देशों के प्रदर्शनी में रखे गए हैं. जोधइया बाई का प्रारंभिक जीवन गरीबी में बीता है.
इस आदिवासी महिला की पेटिंग का इटली में भी जलवा, जानिए कौन हैं जोधईया बाई - Who is Jodhaiya Bai
चित्रकला के लिए मशहूर मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले उमरिया की निवासी बैगा महिला चित्रकार जोधईया बाई का नाम पद्मश्री के लिए प्रस्तावित किया गया है.
जोधईया बाई बैगा उमरिया जिले के छोटे से गांव लोढ़ा गांव की हैं. जोधईया बाई अब एक अंर्तराष्ट्रीय कलाकार हो गई हैं और आज उनका नाम पद्मश्री के लिए नामांकित भी हुआ है, और उनके हाथों से उकेरे गये चित्र आज दुनिया के मशहूर चित्रकार लियोनार्दो द विंची के देश इटली में रंग बिखेर रहे हैं. जोधईया बाई के चित्रों की धाक इटली के मिलान शहर में आयोजित इस प्रदर्शनी के आमंत्रण पत्र के कव्हर पेज भी जोधईया बाई की पेंटिंग से रंगा हुआ है.
जोधईया बाई ने विलुप्त होती बैगिन चित्रकला को एक बार फिर जीवित कर दिया है. जिस बड़ादेव और बघासुर के चित्र कभी बैगाओं के घरों की दीवार पर सजते थे. वे अब दिखाई नहीं देते और न ही उन्हें नई पीढ़ी के बैगा जानते हैं. उन्हीं चित्रों को जब जोधईया ने कैनवास और ड्राइंग सीट पर आधुनिक रंगों से उकेरना शुरू किया तो बैगा जनजाति की यह कला एक बार फिर जीवित हो उठी है.