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वन अमले ने गिराया आदिवासियों का मकान, बारिश में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर

उमरिया के बरौंदा गांव में वन विकास निगम के कर्मचारियों ने गरीबों की झोपड़ी को जमींदोज कर दिया. जिसके बाद गरीब आदिवासी भारी बारिश में रहने को मजबूर हैं. जिसके बाद गरीब आदिवासियों ने इस मामले की शिकायत उमरिया कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से की है.

Adivasi's fallen house
आदिवासियों का गिरा घर

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Published : Aug 28, 2020, 7:50 AM IST

उमरिया। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार जहां एक तरफ वन क्षेत्र में बसे आदिवासी गरीबों के पट्टे वितरित कर पक्के मकान बनाने की कवायद में जुटी है. वहीं दूसरी ओर वन विभाग के जिम्मेदार जान से मारने की धमकी देकर आदिवासियों को बरसात में बेघर करने की जुगत में जुटे हैं. वहीं कांग्रेस ने मामले में सरकार को आड़े हाथों लिया है.

आदिवासियों का गिरा घर

मामला करकेली जनपद के ग्राम बरौंदा से सामने आया है. जहां मंगलवार को वन विकास निगम के जिम्मेदारों ने अमानवीय रवैया दिखाया है. वन विकास निगम के कर्मचारियों ने गरीबों की झोपड़ी को भरी बरसात में नेस्तनाबूत कर आदिवासियों को बेघर कर दिया है.

गरीब आदिवासियों ने इस मामले की शिकायत उमरिया कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से की है. इस मामले में पीड़ितों ने बताया कि उनका 40 से 50 साल पुराना घर वन विकास निगम के लोगों ने तोड़ दिया है. जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं. उनके पास दूसरा घर नहीं है. इस भरी बरसात में वे कहां जाए. अब हमारे पास रहने को छत नहीं है, जिसे कलेक्टर से हमने शिकायत की है. दुर्भाग्यपूर्ण कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं.

कांग्रेस प्रदेश सचिव शकील खान ने वन विकास निगम और सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इससे सरकार की मंशा का पता चलता है कि सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है. एक तरफ तो मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार गरीबों के हितों की बात करती है, तो दूसरी तरफ उनको बेघर भी करती है.

सवाल इस बात का है कि जहां एक ओर सरकार आदिवासी गरीबों को वन अधिकार पट्टा वितरण करने अभियान छेड़ी है, वहीं वन अमला विभागीय कार्रवाई के दौरान आदिवासियों के साथ बदसलूकी और भरी बरसात में मकान को खुर्द बुर्द कर उन्हें बेघर कर रही है.

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