उमरिया।बांधवगढ़ नेशनल पार्क में पहली बार बारहसिंघा को बसाने का प्रोजेक्ट बनाया गया है, जिसके लिए शासन स्तर से मंजूरी मिलने के साथ ही पार्क प्रबंधन ने प्रोजेक्ट की तैयारी पूरी की थी. इसके बाद कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से बारहसिंघा को लाकर यहां पुनस्र्थापित करने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ. बारहसिंघा यहां के वातावरण मे ढल सकें और उनकी आवयश्कताओं के साथ सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आवश्यक व्यवस्थाएं पार्क प्रबंधन द्वारा बनाई गई है. यही कारण है कि कान्हा टाइगर रिजर्व की ठोस मिट्टी वाली जमीन से आने वाले मेहमानों को बांधवगढ़ के एक बाड़े में 3 साल गुजारना पड़ेगा. इसके बाद उन्हें खुले जंगल मे छोड़ा जाएगा. बारहसिंघा बांधवगढ़ में सफलता पूर्वक बसाए जा सकते हैं,दोनों नेशनल पार्क का जो अंतर है उसके बीच बारहसिंघा कुछ समय मे सामंजस्य बैठा सकते हैं. यही कारण है कि उन्हें यहां लाने के बाद पहले 3 साल तक बाड़े मे रखने का निर्णय लिया गया है.
नए मेहमान को जन्म देने वाली है मादा बारहसिंघा:अभी तक दो बारहसिंगा की मौत हो चुकी है, दोनों ही बारहसिंगा घायल होने के कारण मर गए थे. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन का कहना है कि आपस में खेलने और दौड़ने के दौरान बारहसिंगा को दूसरे बारहसिंगा के सींग लग गए थे, जिससे वह घायल हो गया और उसकी मौत हो गई. बीच में यह खबर भी आई थी कि कुछ बारहसिंगा बीमार चल रहे हैं, लेकिन बाद में सब कुछ ठीक-ठाक हो गया था, अब नई खबर ने वन्य प्राणी प्रेमियों को उत्साहित और रोमांचित कर दिया है, इस बारे में जानकारी देते हुए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के एसडीओ सुधीर मिश्रा ने बताया कि "प्रोजेक्ट बारहसिंघा सफलता की तरफ बढ़ रहा है और जल्द ही नए मेहमान जन्म लेंगे."