उमरिया। विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ किसी परिचय का मोहताज नहीं है आपको राह चलते वनराज के दर्शन यूं ही हो जाएंगे और बांधवगढ़ का गहरा संबंध कबीरदास से भी हैं क्योंकि कबीरदास ने इसी बांधवगढ़ में अपने शिष्य धर्मदास सहित कई शिष्यों के साथ सत्संग किया था. लेकिन आज बांधवगढ़ का नाम महाकवि कालिदास से भी जुड़ गया क्योंकि आज बांधवगढ़ में कालिदास संस्कृत अकादमी के द्वारा यहां एक कला शिविर का शुभारंभ किया गया जिसमें महाकवि कालिदास द्वारा रचित महाकाव्य रघुवंशम को बैगा चित्रकार अपनी तूलिका के माध्यम से कैनवास में उकेर रहे हैं.
जनगण तस्वीर खाना के बैगा चित्रकार हो रहे हैं शामिल
कालिदास संस्कृत अकादमी और संस्कृति परिषद उज्जैन द्वारा 9 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक वनजन कला शिविर का आयोजन द सन रिसोर्ट ताला बांधवगढ़ में किया गया. जो कि महाकवि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम पर केंद्रित थी. इस आयोजन में उमरिया जिले के 12 कलाकारों द्वारा जनगण तसवीर खाना के संचालक आशीष स्वामी के मार्गदर्शन में पारंपरिक लोक शैली बैगा पर चित्रांकन का कार्य किया जा रहा है.
इसमें बैगा शैली की वरिष्ठ चित्रकार जोधईया बाई को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है. इसके अतिरिक्त झूलनबाई, शकुन बाई, अमर, संतोषी बाई, रामरति बाई, सुरेश बैगा, फागुनी बैगा, संजय बैगा, रामबाई बैगा, फूलबाई बैगा को आमंत्रित किया गया है. यह सभी कलाकार अपनी तूलिका के माध्यम से महाकवि कालिदास की रचना रघुवंशम को चित्रों के माध्यम से उकेर रहे हैं.
रघुवंशम के 19 सर्गों पर हो रही है चित्रकारी
रघुवंशम कालिदास रचित महाकाव्य है. इसमें 19 सर्ग हैं और रघुकुल के 29 राजाओं के इतिहास का वर्णन किया गया है. यहां उपस्थित बैगा चित्रकारों को एक-एक सर्ग दिया गया है, जिसमें वह उत्सर्ग से संबंधित कथाओं को कैनवास के माध्यम से चित्रों के रुप में उतारेंगे. कालिदास संस्कृत अकादमी के कोऑर्डिनेटर मुकेश काला ने बताया कि पूर्व में भरिया भी आदिवासियों के माध्यम से भी महाकवि कालिदास के महाकाव्य को कैनवस में उतारने का प्रयास किया गया है.
विश्वप्रसिद्ध बैगा चित्रकार जोधईया बाई कर रही हैं शिरकत
महाकवि कालिदास की रचना रघुवंशम को कैनवास पर उकेरने के लिए विश्व प्रसिद्ध बैगा चित्रकार जोधईया बाई भी बांधवगढ़ पहुंची हैं. उल्लेखनीय है कि जोधईया बाई द्वारा बनाई गई पेंटिंग पिछले वर्ष लियोनार्डो द विंची के शहर इटली के मिलान में जमकर सुर्खियां बटोरी थीं और उस प्रदर्शनी के लिए जो आमंत्रण पत्र बनाए गए थे, उसमें जोधईया बाई की बनाई गई पेंटिंग को ही स्थान मिला था.
रघुवंशम : एक नजर
रघुवंशम की कथा को कालिदास ने 19 वर्गों में बांटा है. जिसमें राजा दिलीप, रघु ,अज, दशरथ ,राम ,लव ,कुश तथा बाद के 20 रघुवंशी राजाओं की कथा गुथी गई है. इस वंश का पतन उसके अंतिम राजा अग्निवर्ण की विलासिता की अति के कारण हुआ था और यही इस कृति की इति भी होती है.
इस कथा के माध्यम से कवि ने राजा के चरित्र, आदर्श तथा राजधर्म जैसे विषयों का बड़ा सुंदर वर्णन किया है. भारत के इतिहास में सूर्यवंश के इस अध्याय का वह अंश भी है, जिसमे एक संदेश यह है कि राजधर्म का निर्वाह करनेवाले राजा की यश और कीर्ति देशभर में फैलती है तो दूसरी ओर चरित्रहीन राजा के कारण अपयश व वंश का पतन निश्चित है, भले ही वह उच्च वंश का वंशज क्यों न हो.