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बांधवगढ़ में बाघिन की मौत, 15 दिनों के अंदर दूसरा मामला

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जंगल में चार दिन पहले इस बाघिन के बीमार होने की सूचना मिली थी. तब से उसका इलाज किया जा रहा था. लेकिन कल रात से जब उसने चलना-फिरना बन्द कर दिया, उसे ट्रेंक्यूलाइज करके पिंजड़े में बंद करके ड्रिप देना शुरू किया गया. लेकिन वह रिकवर नहीं कर सकी और उसकी मौत हो गई.

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बाघिन की मौत

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Published : Apr 17, 2021, 6:52 AM IST

उमरिया।बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जंगल में लगी भीषण आग की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई थी, कि बाघों की सिलसिलेवार मौतों ने वन्यजीव प्रेमियों को दहला कर रख दिया है. गुरुवार को 4 साल की बाघिन की इलाज के दौरान मौत हो गई. बीते 15 दिनों के भीतर बिल्ली प्रजाति के दुर्लभ प्राणियों की यह चौथी मौत है. 31 मार्च से 14 अप्रैल के भीतर दो तेंदुए और दो बाघों की मौत से वन्यजीव प्रेमी उदास हैं लेकिन पार्क प्रबंधन के पास रटे-रटाए जुमलों के अलावा कहने को कुछ नहीं है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लगातार हो रहे इन हादसों की एक वजह वनमंत्री विजय शाह का पार्क डायरेक्टर विंसेंट रहीम को दिया जा रहा खुला संरक्षण माना जा रहा है.

  • इससे पहले भी हुई बाघिन की मौत

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के में आग लगने की घटना के तुरंत बाद 31 मार्च को एक बाघिन की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया था. प्रारंभिक जांच में उसकी मौत का कोई पुख्ता कारण स्पष्ट नहीं किया जा सका था, लेकिन जानकारी के अनुसार बाघिन के शरीर में आग से जलने के निशान देखे गए थे. जिसे पार्क प्रबंधन ने बड़ी चतुराई से छिपाया और एनटीसीए की गाइड लाइन के अनुसार उसे जला दिया गया. इसके बाद 8 अप्रैल को एक तेंदुए की मौत का मामला सामने आया. इस मामले की जांच पूरी हुई नहीं थी कि एक और तेंदुए की मौत ने हलचल मचा दी. इसके बाद 14 अप्रैल को वनबेई बीट की 4 साल की बीमार बाघिन को बचाया नहीं जा सका. इस मौत ने पार्क प्रबंधन के लापरवाही की कलई खोलकर रख दी.

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  • क्यों बीमार हुई बाघिन ?

जानकारों का कहना है कि वनबेई की बाघिन के बीमार होने की जानकारी पार्क प्रबंधन को लगभग 4 दिन पूर्व ही हो चुकी थी. वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी एडवोकेट वंदना द्विवेदी का कहना है कि बीमार होने के बाद से बाघिन लगातार पानी में थी लेकिन पार्क प्रबंधन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. जब तक ट्रेंकुलाइज करके उसका इलाज शुरू किया गया, तब तक काफी देर हो चुकी थी. इसमें चिंताजनक पहलू यह है कि अभी तक इस मृत बाघिन की बीमारी का पता नहीं लगाया जा सका है. एक स्वस्थ बाघिन आखिर किन कारणों से जानलेवा बीमारी की शिकार हुई ? इस संबंध में एनटीसीए के स्थानीय प्रतिनिधि सत्येंद्र तिवारी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि वे एनटीसीए के प्रवक्ता नहीं हैं, उन्हें जो भी रिपोर्ट भेजनी होती है, वह सीधे एनटीसीए को भेज देते हैं.

  • मंत्री से याराना बांधवगढ़ को ले न डूबे !

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ये हालात तब है, जब राज्य शासन के कैबिनेट मंत्री विजय शाह मंत्री बनने के बाद से बांधवगढ़ के कई दौरे कर चुके हैं. यानी कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उनकी सीधी निगरानी में हैं. यही वजह है कि वन्य जीव और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों का सीधा सवाल है कि वन मंत्री के लगातार दौरों से पार्क प्रबंधन में क्या कोई बेहतरी आई ? टाइगर रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात छोटे कर्मचारियों से लेकर आला अफसरों तक के रवैये और तौर-तरीकों में कोई बदलाव आया ? कोई कसावट आई ? ऐसे किसी भी सवाल का जवाब सिर्फ और सिर्फ न में है. फिर मंत्री जी के दौरों का प्रयोजन क्या था और उपलब्धि क्या रही ? इस सवाल का जवाब भले ही कोई भी सामने आकर नहीं देना चाहता है, लेकिन दबी जुबान में हर तरफ एक ही बात है कि मंत्री जी जिस काम के लिए बार-बार बांधवगढ़ आते थे. वह काम उन्होंने बखूबी करा लिया है. सूत्रों की मानें तो मंत्री हॉट एयर बैलून सफारी का कारोबार जमाना चाहते थे. जिसे मंत्री ने पूरा करा लिया है.

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