मध्य प्रदेश

madhya pradesh

एबीवीपी के कार्यकर्ताओं द्वारा जोधइया बाई को शॉल और श्रीफल किए गए भेंट

By

Published : Sep 7, 2020, 6:59 PM IST

अंतर्राष्ट्रीय पेंटिंग बैगा आदिवासी कलाकार जोधइया बाई का नाम जिला प्रशासन द्वारा पद्मश्री अवॉर्ड के लिए नामांकित करने पर एबीवीपी उमारिया के जिला संयोजक हिमांशु तिवारी और सभी कार्यकर्ताओं ने शॉल और श्रीफल देकर बधाई दी है.

ABVP activists present shawl and quince to Jodhaiya Bai
एबीवीपी के कार्यकर्ताओं द्वारा जोधाइया बाई को शॉल और श्रीफल की भेंट

उमरिया।अंतर्राष्ट्रीय पेंटिंग बैगा आदिवासी कलाकार जोधइया बाई का नाम जिला प्रशासन द्वारा पद्मश्री आवार्ड के लिए नामांकित करने पर एबीवीपी उमरिया के जिला संयोजक हिमांशु तिवारी और सभी कार्यकर्ताओं ने शॉल और श्रीफल देकर बधाई दी है.

जिले की 70 वर्षीय बैगा आदिवासी पेटिंग कलाकार जोधइया बाई का नाम जिला प्रशासन द्वारा पद्मश्री अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया है. जोधइया बाई की ख्याति बैगा जनजाति की ट्रेडिशनल पेंटिंग के रूप में है. उनके द्वारा बनाई गई पेटिंग राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले आयोजनों में प्रदर्शित की जाती है.

वर्ष 2014 आदिवासी संग्राहलय भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता, वर्ष 2015 में भारत भवन भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता, वर्ष 2020 में एलियांस फांस में पेटिंग्स का प्रदर्शन, वर्ष 2017 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्राहलय भोपाल द्वारा केरल में आयोजित कार्यक्रम में सहभागिता, वर्ष 2018 में शांति निकेतन पश्चिम बंगाल मेे पेटिंग्स का प्रदर्शन, वर्ष 2020 में आईएमए फाउण्डेशन लंदन द्वारा बिहार संग्रहालय पटना में सहभागिता एवं सम्मान तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2016 में उमरिया मे आयोजित विंन्ध्य मैकल उत्सव उमरिया में सम्मानित किया गया.

इसी तरह इनका राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय परंपरागत आर्ट गैलरी के आयोजन में मिलान इटली, फ्रांस, पेरिस शहर में आयोजित आर्ट गैलरी में तथा इंग्लैण्ड, अमेरिका एवं जापान आदि देशों में इनके द्वारा बनाई गई बैगा जन जाति की परंपरागत पेटिंग्स की प्रदर्शनी लग चुकी है.

जोधईया बाई द्वारा विगत 10 दस वर्षो में तैयार की गई पेंटिंग के विषय पुरानी भारतीय पंरपरा में देवलोक की परिकल्पना, भगवान शिव तथा बाघ पर आधारित पेटिंग हैं, जिसमें पर्यावरण एवं वन्य जीव के महत्व को प्रदर्शित किया जाता है. इसके साथ ही बैगा जन जाति की संस्कृति पर अधारित पेंटिंग्स विदेशियों द्वारा खूब सराही जाती है.

जोधइया बाई नई पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं. इस आयु में भी वे पूरी सक्रियता के साथ सहभागिता निभाती हैं. उनकी चित्रकारी को उनके गुरू आशीष स्वामी ने दरसाने का काम किया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने पर जोधइया बाई ने बताया कि कभी नहीं सोचा था कि उनकी अपनी संस्कृति एक दिन उन्हें पहचान दिलाएगी. उन्होंने कहा 30 की उम्र में पति की मौत हो गई थी. मजदूरी करके बच्चों को पाला, जंगली जानवरों के बीच चारा भी काटा.

विद्यार्थी परिषद उमरिया के जिला संयोजक ने बताया कि यह बहुत हर्ष एवं गौरव का विषय है और हमारे जिले से आदिवासी कला में निपुर्ण जोधाईया बैगा को पद्मश्री अवॉर्ड के लिए नामांकित किया जा रहा है. विद्यार्थी परिषद जिला संयोजक ने यह भी बताया की जोधाईया बाई को कार्यकर्ताओं द्वारा उनके ग्रहनिवास में पहुंचकर श्रीफल और शॉल दे कर बधाई एवं शुभकामनाएं दी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details