उमरिया। जिले के बिरसिंहपुर पाली नगर में स्थित त्रिपुरी कलचुरी कालीन महिषासुरमर्दिनि माता बिरासिनी का भव्य मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में पूरे देश में प्रसिद्ध है. सतपुड़ा मैकल पर्वत श्रृंखला की तलहटी में अमरकंटक से निकलने वाली जोहिला नदी के दाहिने तट पर माता बिरासनी का मंदिर विराजमान है. नवरात्री के आगाज के साथ ही मां बिरासिनी के दरबार में भक्तों की तांता लगना शुरू हो जाता है. चैत्र नवरात्र और शारदेय नवरात्र में यहां भव्य मेला लगता है, साथ ही बिरासिनी मंदिर के जवारों को देखने के लिए दूर दूर से भक्तजन यहां पहुंचते हैं. कटनी बिलासपुर रेलवे मार्ग के बीच में बिरसिंहपुर पाली नाम का रेलवे स्टेशन है. साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के माध्यम से भी बड़ी सरलता के साथ मां बिरासिनी के दरबार पहुंचा जा सकता है.
वहीं इस बार कोरोना काल के चलते इसके लिए विशेष तैयारियां की गई है, उमरिया कलेक्टर ने बताया की लोगों की आस्था और श्रद्धा का ध्यान रखते हुए मंदिरों में विशेष व्यवस्था की गई है, जिसके लिए अधिकारियों द्वारा सभी व्यवस्थाओं पर नजर रखी जा रही है.
कलचुरी राजाओं की आराध्य देवी मां बिरासिनी
मंदिर के पुजारी का कहना है कि 550 से 1,740 तक लगभग 1,200 वर्ष की अवधि में कलचुरी राजाओं ने राज किया था, इन कलचुरी वंश की चार शाखाओं में से एक त्रिपुरी के कलचुरियों द्वारा इस क्षेत्र में काफी मंदिरों का निर्माण कराया गया था. कलचुरी शासक शक्ति के उपासक थे और महिषासुरमर्दिनि माता कलचुरियों की आराध्य देवी थी, यही कारण है कि महिषासुरमर्दिनि माता की मूर्तियां उमरिया जिले के चार स्थलों में हूबहू एक ही तरह की पाई गईं हैं, जिसमे बिरसिंहपुर पाली की बिरासिनी देवी सबसे बड़ी प्रतिमा है.