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उज्जैन के सेवाधाम में यौन शोषण से पीड़ित महिलाएं कैसे संवार रहीं अपना और दूसरों का भविष्य - सेवाधाम आश्रम में शोषित महिलाएं

उज्जैन से 20 किलोमीटर दूर स्थित सेवाधाम आश्रम में यौन शोषण की शिकार, लावारिस और असाध्य रोग से पीड़ित महिलाएं आज अपनी इच्छाशक्ति के दम पर नई जिंदगी जी रही हैं. इनके सपने नए और बड़े हैं. ये महिलाएं पढ़- लिखकर समाज की मुख्यधारा में जुड़ने का प्रयास कर रही हैं.

Sewadham of Ujjain
उज्जैन का सेवाधाम

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Published : Mar 8, 2022, 12:26 PM IST

उज्जैन।उज्जैन के सेवाधाम में ऐसी अनेक महिलाऐं मौजूद हैं, जिनके साथ अपनों ने अत्याचार किए. कुछ नाबालिग हैं, जिनके साथ दुष्कर्म हुआ उन्होंने आश्रम परिसर में ही अपने बच्चों को जन्म दिया. इन्हीं महिलाओं में से कुछ आश्रम में ही सेविका बनकर अपने जैसी अनेक महिलाओं और बच्चों की देखभाल कर रही हैं. ये महिलाएं न सिर्फ आश्रम की दैनिक गतिविधियों में भाग ले रही हैं. इनमें साहस इतना है कि दुराचारियों को कोर्ट में निडरता के साथ गवाही देकर जेल की सलाखों के पीछे धकेल चुकी हैं। वर्तमान में सेवाधाम में 405 महिलाएं एवं बालिकाएं हैं. इनमें अधिकांश जिंदगी की नई इबारत लिख रही हैं.

उज्जैन का सेवाधाम

कई राज्यों की पीड़ितों का शरण स्थल है सेवाधाम
सेवाधाम में रहकर नई जिंदगी शुरू कर चुकी ये महिलाएं देश के कई राज्यों की हैं. असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, बांग्लादेश, कोलकाता, उत्तरप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, केरला, चेन्नई, छत्तीसगढ़, बिहार की पीड़ित महिलाएं और बालिकाएं यहां रह रही हैं. सब घुल-मिलकर रहती हैं. इनकी भाषा अलग है, पहनावा अलग है. इसके बावजूद एक-दूसरे की भरपूर मदद करती हैं.

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अपनों की दरिंदगी का शिकार हुई, अब दूसरों का भविष्य बना रही

विदिशा में खुशहाल जिन्दगी जी रही और पढ़ाई में अव्वल रजनी (परिवर्तित नाम) के माता-पिता की मृत्यु के बाद चाचा ने आबरू छीनकर मानसिक दिव्यांग की श्रेणी में पहुंचा दिया था. इसके बाद सेवाधाम में ये युवती ना सिर्फ ठीक हुई बल्कि लगातार काउंसलिंग के बाद दिन-रात मेहनत करके पढ़ाई भी जारी रखी. उसने 2021 में माध्यम शिक्षा मण्डल की कक्षा 12वीं में 5 में से 4 विषयों में विशेष योग्यता हासिल कर परीक्षा उत्तीर्ण की. ये युवती आज आत्मविश्वास से लबरेज है और आगे पढ़ने के साथ सेवाधाम आश्रम में कांता भाभी के विशेष सहयोग से कम्प्यूटर प्रशिक्षण एवं सिलाई, केयर टेकिंग एवं आश्रम की दिनचर्या में सहायता कर रही है.
सेवाधाम आश्रम की देखभाल करती हैं लडकियां
14 वर्ष की उम्र में दरिन्दगी का शिकार होकर मां बनने वाली आदिवासी बालिका अब पिछले पांच वर्षों से सेवाधाम आश्रम में रहकर न सिर्फ दरिन्दगी के अंधेरे से बाहर निकली, बल्कि आश्रम के ही नवजात बच्चों के वार्ड को संभाल रही है. इसके जैसी इस वार्ड में पीड़ित एवं शोषण की शिकार 37 महिलाएं अपने बच्चों के साथ रहती हैं.

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