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ठंड से भगवान भी ठिठुरे ! उज्जैन में भगवान को पहनाए गए गर्म कपड़े, अंगेठी भी जलाई गई

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Published : Dec 20, 2020, 8:09 AM IST

उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध सांदीपनि आश्रम में भगवान श्री कृष्ण और भाई बलराम और मित्र सुदामा को ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाए गए हैं. साथ ही लकड़ियां जलाकर अंगेठी भी रखी गई.

Ujjain
सांदीपनि आश्रम उज्जैन

उज्जैन। देशभर में बढ़ती ठंड के प्रकोप ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. खासकर पहाड़ी इलाकों और मैदानी इलाकों में कप-कपां देने वाली ठंड देखने को मिल रही है, जिसके कारण धार्मिक नगरी हो या फिर अन्य कई राज्यों में फुटपाथ पर जीवन यापन करने वाले साधु संत, सभी का जनजीवन अस्त व्यस्त हुआ है. यहां तक घरों से बाहर निकलना दुश्वार हो गया है. उज्जैन में बीती रात पारा 9 डिग्री तक पहुंच गया था जिस को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने लोगों को ठंड से बचाने के लिए जगह-जगह अलाव जलाने और बिस्तर की व्यवस्था की तो वही प्रसिद्ध मंदिरों में भी अलग ही दृश्य देखने को मिला. जिसमें विश्व प्रसिद्ध सांदीपनि आश्रम में भगवान श्री कृष्ण व भाई बलराम और मित्र सुदामा को ठंड से बचाने के लिए ना सिर्फ गर्म कपड़े पहनाए गए, बल्कि उनके सामने लकड़ियां जलाकर अंगेठी भी रखी गई.

सांदीपनि आश्रम उज्जैन

भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा के लिए अंगेठी की व्यवस्था

दरअसल प्रदेश भर में गिर रहे पारे के चलते आम जनजीवन अच्छा खासा प्रभावित हो रहा है. आम लोग ठंड से बचाव के लिए यहां गर्म कपड़े खरीद कर पहन रहे हैं. ऐसे में उज्जैन की खास बात सामने आई है कि मनुष्य के साथ-साथ अब सांदीपनि आश्रम में भगवान श्री और भाई बलराम और दोस्त सुदामा और गुरु सांदीपनि को गर्म वस्त्र पहनाए गए हैं ताकि ठंड के प्रकोप से भगवान को बचाया जा सके और उनके सामने लकड़ी जलाकर अंगेठी लगाई जा रही है ताकि गर्माहट बनी रहे.

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सांदीपनि आश्रम के पंडित रूपम व्यास ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण बलराम और सुदामा बालक काल में मनुष्य रूप में उज्जैन में रहते थे, जिसके कारण उनको बच्चे का रूप मानकर उनकी देखभाल की जा रही है. जिस तरह बच्चों के हाथों में ग्लब्स और सिर पर गर्म ऊनी टोपी लगाई जाती है. उसी तरह सभी को गर्म कपड़े पहना कर भगवान को गर्म रखा जा रहा है. करीब 5000 वर्ष पहले श्री कृष्ण, बलराम, सुदामा उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण करने आए थे जहां उन्होंने आश्रम में रहकर ही 64 दिन में 64 विद्या और 16 कलाओं का ज्ञान अपने गुरु सांदीपनि से लिया था.

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