मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

सूर्य ग्रहण: सूतक हटते ही किया गया महाकालेश्वर मंदिर का शुद्धिकरण - महाकालेश्वर मंदिर का शुद्धिकरण

सूर्य ग्रहण का सूतक हटने के बाद 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर को पानी से धोकर शुद्धीकरण किया गया. इस दौरान मंदिर के साथ ही पूरे परिसर को भी पानी से शुद्ध किया गया. महाकालेश्वर मंदिर के शुद्धीकरण के लिए पंडितों द्वारा मंत्रोचार भी किया.

Washing of Mahakal Temple
महाकाल मंदिर में शुद्धीकरण

By

Published : Jun 21, 2020, 7:45 PM IST

Updated : Jun 21, 2020, 7:55 PM IST

उज्जैन। रविवार 21 जून 2020 को कंकण सूर्यग्रहण की समाप्ति हो गई है. यह सूर्य ग्रहण अलग-अलग समय में देश के कई स्थानों पर देखा गया. साल के सबसे बड़े सूर्य ग्रहण के कारण लगे सूतक के हटते ही अब मंदिरों की धुलाई की जा रही है. इसी कड़ी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर को भी धोया जा रहा है. मंदिर और उसके परिसर को पानी से शुद्ध किया गया. महाकालेश्वर मंदिर में सूतक काल के दौरान पंडितों द्वारा मंत्र जाप किया गया.

महाकाल मंदिर में शुद्धीकरण

ये ग्रहण जहां अफ्रीका, पूर्वी दक्षिणी यूरोप, उत्तरी आस्ट्रेलिया, मध्य पूर्वी एशिया के देश, हिंद एवं प्रशांत महासागर में भी दिखाई देगा. तो वहीं इस ग्रहण की कंकण आकृति राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड के उत्तरी भाग और पंजाब दक्षिण भाग के कुछ हिस्सों में दिखाई देगी. भारत के अन्य प्रांतों में यह ग्रहण खंडग्रास के रूप में दिखाई दिया.

सूतक काल में ध्यान रखने वाली बातें -

सूतक का मतलब खराब समय या ऐसे समय से है, जब प्रकृति अधिक संवेदनशील होती है. ऐसे में घटना और दुर्घटना होने की आशंकाएं भी बढ़ जाती हैं. इसलिए ऐसे समय में सचेत रहें और ईश्वर का ध्यान जरूर लगाएं. ग्रहण के दौरान तुलसी को छूना या उसका पत्ता तोड़ना निषेध है, इसलिए सूतक से पहले तोड़ लें. वहीं सूतक के दौरान भोजन न बनाएं और सूतक से पहले भोजन तैयार कर लें. इसके साथ ही भोजन को सूतक के दौरान ही समाप्त कर लें, यदि भोजन बच जाता है तो उसे पशु-पक्षी को डाल दें. हालांकि दूध, फल, जूस या सात्विक भोजन ले सकते हैं. वहीं गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और बीमार व्यक्ति पर यह नियम लागू नहीं होता. वे लोग इस दौरान फल,जूस, पानी का सेवन कर सकते हैं.

बुरे कर्मों से रहें दूर

इस साल के सूर्यग्रहण पर अच्छी बात ये है कि इस दिन अपराध, बुरे काम, बुरे विचार और झूठ का त्याग करना चाहिए. क्योंकि इस समय किये गए बुरे कार्यों का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में सूतक काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें. ध्यान रहे सूतक काल में भगवान की मूर्ति को बिल्कुल भी स्पर्श ना करें और मांस-मदिरा से भी दूर रहें. ग्रहण के दौरान चारों तरफ बहुत अधिक नेगेटिविटी फैल जाती है, इसलिए ग्रहण के समय बर्तन में दूध लेकर उसमें तुलसी के पत्ते डालें, फिर ग्रहण खत्म होने पर बाहर फेंक दे, इससे नकारात्मकता खत्म हो जाएगी.

इन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव-

कंकण सूर्यग्रहण मृगशिर और आर्द्रा नक्षत्र व मिशुन राशि में हो रहा है. ऐसे में मिशुन राशि व मृगशिर और आर्द्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को विशेष कष्टदायक रहेगा. इन लोगों को ग्रहण काल में सूर्याष्टक स्तोत्र, आदित्य स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.

ग्रहण के बाद से ही दूर से ही दर्शन किए जा रहे थे साथ ही सूर्य ग्रहण के समय महाकालेश्वर मंदिर के पट खुले हुए रहते हैं, इस समय भगवान के दूर से ही दर्शन करने को मिलते हैं, क्योंकि सूर्य ग्रहण के समय भगवान की शिवलिंग को स्पष्ट नहीं किया जा सकता है. अब सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरा मंदिर परिसर पानी से धोया गया और साफ-सफाई की गई.

Last Updated : Jun 21, 2020, 7:55 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details