उज्जैन। रविवार 21 जून 2020 को कंकण सूर्यग्रहण की समाप्ति हो गई है. यह सूर्य ग्रहण अलग-अलग समय में देश के कई स्थानों पर देखा गया. साल के सबसे बड़े सूर्य ग्रहण के कारण लगे सूतक के हटते ही अब मंदिरों की धुलाई की जा रही है. इसी कड़ी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर को भी धोया जा रहा है. मंदिर और उसके परिसर को पानी से शुद्ध किया गया. महाकालेश्वर मंदिर में सूतक काल के दौरान पंडितों द्वारा मंत्र जाप किया गया.
ये ग्रहण जहां अफ्रीका, पूर्वी दक्षिणी यूरोप, उत्तरी आस्ट्रेलिया, मध्य पूर्वी एशिया के देश, हिंद एवं प्रशांत महासागर में भी दिखाई देगा. तो वहीं इस ग्रहण की कंकण आकृति राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड के उत्तरी भाग और पंजाब दक्षिण भाग के कुछ हिस्सों में दिखाई देगी. भारत के अन्य प्रांतों में यह ग्रहण खंडग्रास के रूप में दिखाई दिया.
सूतक काल में ध्यान रखने वाली बातें -
सूतक का मतलब खराब समय या ऐसे समय से है, जब प्रकृति अधिक संवेदनशील होती है. ऐसे में घटना और दुर्घटना होने की आशंकाएं भी बढ़ जाती हैं. इसलिए ऐसे समय में सचेत रहें और ईश्वर का ध्यान जरूर लगाएं. ग्रहण के दौरान तुलसी को छूना या उसका पत्ता तोड़ना निषेध है, इसलिए सूतक से पहले तोड़ लें. वहीं सूतक के दौरान भोजन न बनाएं और सूतक से पहले भोजन तैयार कर लें. इसके साथ ही भोजन को सूतक के दौरान ही समाप्त कर लें, यदि भोजन बच जाता है तो उसे पशु-पक्षी को डाल दें. हालांकि दूध, फल, जूस या सात्विक भोजन ले सकते हैं. वहीं गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और बीमार व्यक्ति पर यह नियम लागू नहीं होता. वे लोग इस दौरान फल,जूस, पानी का सेवन कर सकते हैं.