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Ujjain Mahakaleshwar Temple: भांग से हुआ महाकाल का राजा रूप में श्रृंगार, मस्तक पर त्रिपुण्ड व त्रिसर नेत्र धारण कर दिए दर्शन - mp news

उज्जैन में बाबा महाकाल का भस्म आरती के दौरान पंचामृत अभिषेक किया गया. भगवान का सोमवार को भांग, चंदन और अबीर से राजा के रूप में श्रृंगार किया गया.त्रिपुण्ड व त्रिसर नेत्र और आभूषण धारण कराए गए. भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित करके आरती की गई.

Ujjain Mahakaleshwar Temple
राजा रूप में महाकाल का श्रृंगार

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Published : Feb 27, 2023, 10:05 AM IST

उज्जैन।उज्जैन भस्मारती महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः काल 04:00 बजे शुरू होती है. भस्म आरती में सबसे पहले भगवान महाकाल को जल अर्पित कर उन्हें स्नान कराया जाता है. इसके बाद पंडे, पुजारियों द्वारा दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया गया. फिर उनका पुजारियों द्वारा भांग से अद्भुत श्रृंगार किया गया. भगवान महाकाल को भस्मी अर्पित करके आरती की गई. जिसमें बाबा महाकाल को फल और विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया गया. यह देख भक्त भी शिवमय हो गए.

भस्म आरती के दौरान महाकाल

बाबा महाकाल का राजा के रूप में श्रृंगार: भगवान महाकाल की भस्मारती में चन्दन से सजाकर आज राजा के रूप में श्रृंगार किया गया. वहीं बाबा को मस्तक पर त्रिपुण्ड व त्रिसर नेत्र और आभूषण धारण कराए. श्रृंगार इतना अदभुत था कि भगवान महाकाल के दर्शन कर श्रद्धालु आनंदमय हो गए. महाकाल को राजा के रूप में तैयार करने के लिए सूखे मेवे से सजाया गया, वहीं गुलाब के फूलों की माला व आभूषण व कुंडल धारण कराए गए. श्रृंगार में काजू, बादाम, रुद्राक्ष, अबीर, कुमकुम सहित तमाम पकवान का भोग लगते हैं और भांग से राजा के रूप में श्रृंगार किया जाता है.

राजा रूप में महाकाल का श्रृंगार

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नंदी महाराज के दर्शन

भस्म आरती के लिए लगती है लंबी लाइन: उज्जैन के बाबा महाकाल की भस्म आरती के लिए श्रद्धालु रात 12 बजे मंदिर के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं. चार बजे जैसे ही मंदिर के पट खुलते हैं और श्रद्धालुओं को बारी-बारी मंदिर में परमिशन चेक कर के जाने दिया जाता है. आखिर में महाकाल बाबा का पांडे, पुजारी मंत्र उच्चारण के साथ जल से अभिषेक कर पंचामृत अभिषेक करते हैं. भगवान महाकाल का भांग से राजा के रूप में श्रंगार कर बाबा महाकाल को भस्मी अर्पित करते हैं और फिर शुरू होती है भस्म आरती. जिसे देख भक्त अभिभूत हो जाते हैं. भगवान को चांदी का छत्र, रुद्राक्ष की माला, फूलों की माला और कलरफुल वस्त्र पहनाये गये, फिर तमाम प्रकार के फल और मिठाइयों से भोग लगाया गया.

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