उज्जैन। मानसूनी सीजन बीत जाने के बाद भी उज्जैन शहर जल संकट के मुहाने पर खड़ा है. मानसून (Monsoon in Ujjain) की बेरुखी के चलते जिले भर के नदी नाले डेम एवं तालाब सूखे हुए हैं. गंभीर डैम (Gambhir Dam) , जो कि शहरवासियों की प्यास बुझाता है, वह भी अब तक भर नहीं पाया है, जिसके चलते शहर में अब जलसंकट की स्थिति पैदा हो गयी है. शहरवासियों को प्रशासन द्वारा जलसंकट (Drinking Water Crisis Ujjain) की स्थिति से बचाने के लिए नर्मदा का जल सप्लाई (Narmada River Water Supply) करने की योजना बनाई जा रही है. यह योजना संकट की इस घड़ी में वरदान साबित हो सकती है. हालांकि देर रात से रुक-रुककर हो रही बारिश के बाद शिप्रा नदी (Shipra River) उफान पर है. और कई मंदिर जलमग्न हो चुके हैं.
चार बार शिप्रा नदी आई उफान पर
कुछ जिलों में मानसून की बेरुखी के चलते अब सूखे की स्थिति बनने लगी है. हालांकि इस बीच जुलाई से सितंबर माह के बीच हुई बारिश सामान्य स्तर 35 इंच तक नहीं पहुंच पायी है. उज्जैन में मानसूनी सत्र में चार बार शिप्रा नदी उफान पर भी आ चुकी है, जिसके कारण रामघाट (Ujjain Ramghat) पर कई बड़े छोटे मंदिर डूब गए. बीती रात से भी लगातार उज्जैन और आसपास के क्षेत्रों में हो रही बारिश के बाद शिप्रा नदी का छोटा पुल और मंदिर डूब गए. इसके बावजूद शहर में पीने का पानी घरों में एक दिन छोड़कर सप्लाई किया जा रहा है. मानसून की बेरुखी के कारण जिले के नदी और डैम सूखे पड़े हुए हैं.
12 घंटे में लगभग 60 एमसीएफटी पानी बढ़ा
शहर की प्यास भुजाने वाले डैम में सुबह 6.00 बजे तक 484 एमसीएफटी पानी ही जमा हो पाया था. जबकि कुल कैपेसिटी 2250 एमसीएफटी पानी की है. रात्रि में 12.10 पर यशवंत सागर डैम इंदौर का एक गेट 1.00 मीटर खोला गया था जो अभी तक चालू है. पिछले 12 घंटे में लगभग 60 एमसीएफटी पानी बढ़ गया है.