उज्जैन। शारदीय नवरात्रि की अष्टमी पर नगर पूजन में माता मंदिर में कलेक्टर ने शराब चढ़ाई, परंपरा अनुसार चौबीस खम्बा माता मंदिर में की गई आरती में कलेक्टर और एसपी शामिल हुए. चौबीस खम्बा माता मंदिर में बुधवार सुबह कोरोना महामारी से निजात दिलाने के लिए कलेक्टर ने मंदिर के महालया और महामाया माता को मदिरा का भोग लगाया. मान्यता है कि इस मंदिर में माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे, इसी परंपरा का निर्वाह कलेक्टर-एसपी द्वारा किया गया है.
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27 किमी तक बहती है शराब की धार
कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी सत्येंद्र शुक्ला ने माता को मदिरा का भोग लगाया, जिसके बाद 27 किमी तक शहर में शराब की धार बहाकर अलग-अलग भैरव मंदिरों में भी शराब का भोग लगाया जाएगा, कलेक्टर और एसपी भी कुछ दूर तक शराब की हांडी लेकर पैदल चले. कलेक्टर ने बताया कि मान्यता है कि देवी की पूजा से महामारी खत्म होती है, इसी के चलते शहर की ओर से देवी से प्राथना की गयी है कि दुनिया में महामारी का दौर खत्म हो.
चौबीस खंबा मंदिर में देवी को चढ़ाई शराब 24 खम्बा माता मंदिर की ये है मान्यता
चौबीस खम्बा माता मंदिर में महालया और महामाया देवी की प्रतिमा को कलेक्टर ने मदिरा चढ़ाकर माता की अराधना की. राजा विक्रमादित्य के समय से प्रारंभ हुई इस परंपरा को जिला प्रशासन आज भी उसी प्रकार निर्वाहन कर रहा है. मान्यता है कि इन मंदिरों में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर को महामारी के प्रकोप से बचाया जा सकता है.
महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होती है यात्रा
लगभग 27 किमी लम्बी इस महापूजा में 40 मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाता है, सुबह से शुरू होकर यह यात्रा शाम को खत्म होती है, यह यात्रा उज्जैन के प्रसिद्ध 24 खम्बा माता मंदिर से प्रारंभ होकर महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होती है, इस यात्रा की खास बात यह है कि एक घड़े में मदिरा भरा जाता है, जिसमें नीचे छेद होता है, ताकि पूरी यात्रा के दौरान मदिरा की धार गिरती रहे, जोकि टूटने न पाए. महामारी से बचाने के लिए माता को खुश करने के उद्देश्य से कलेक्टर ने माता को शराब का भोग लगाया और शहर को महामारी से बचाने का आशीर्वाद लिया.
मदिरा का प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित
पूजन खत्म होने के बाद माता मंदिर में चढ़ाई गयी शराब को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया गया, जिसमे बड़ी संख्या में पुरुष श्रद्धालु थे तो वहीं कुछ महिला भक्तों ने भी मदिरा का प्रसाद ग्रहण किया.
क्या है इतिहास और महत्व
कई जगह प्राचीन देवी मन्दिर है, जहां नवरात्रि में पाठ-पूजा का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि में यहां काफी तादाद में श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं. इन्हीं में से एक है चौबीस खम्बा माता मन्दिर. कहा जाता है कि प्राचीन काल में भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में प्रवेश करने और वहां से बाहर निकलने का मार्ग चौबीस खंबों के बीच से बनाया गया था. इस द्वार के दोनों किनारों पर देवी महामाया और देवी महालाया की प्रतिमाएं स्थापित हैं. सम्राट विक्रमादित्य इन देवियों की आराधना किया करते थे. उन्हीं के समय से अष्टमी पर्व पर शासकीय पूजन करने की परम्परा चली आ रही है.
उज्जैन नगर में प्रवेश का प्राचीन द्वार
उज्जैन नगर की रक्षा के लिये यहां चौबीस खम्बे लगे हुए थे, इसलिये इसे चौबीस खंबा द्वार भी कहते हैं. यहां महाअष्टमी पर शासकीय पूजा तथा इसके पश्चात पैदल नगर पूजा इसीलिये की जाती है, ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सकें और महामारी से बचाये रखें.