उज्जैन।हमारे देश ने आज वैज्ञानिक तरक्की के जरिये भले ही दुनिया भर में अपनी मजबूत पहचान बना ली है. लेकिन इक्कीसवी सदी में भारत में परंपरा और आस्था का बोलबाला है. आज के युग में भी उज्जैन (Ujjain) में आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खेल चल रहा है. यहां लोग खुद को गायों के पैर तले रौंदवाते हैं और वो भी खुशी खुशी. जी हां आधुनिक जमाने में भी उज्जैन के बड़नगर में वर्षों पुरानी खतरनाक परंपरा निभाई जा रही है. दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा के दिन मौत का ये खेल होता है.
आज तक किसी को नहीं हुई कोई हानि:दरअसल गांव वाले मान बैठे हैं कि गाय के पैरों के नीचे आने से साल भर घर में समृद्धि और खुशहाली आती है. बडनगर तहसील के ग्राम भिडावद में आज बुधवार को फिर अनूठी परंपरा देखने को मिली, गांव में सुबह गाय का पूजन किया गया. पूजन के बाद लोग जमीन पर लेटे और उनके ऊपर से गाये निकाली गईं. ग्रामीणों का मानना है कि सालों से चली आ रही परंपरा के कारण आज तक किसी को कोई हानि नहीं पहुंची है.
इंसानों के ऊपर से गुजरा सैकड़ों गायों का झुंड, तस्वीरें विचलित कर सकती हैं Govardhan Puja 2022 : दीपावली के अगले दिन होने वाली गोवर्धन पूजा सूर्यग्रहण के कारण 26 अक्टूबर को, देखें शुभ मुहूर्त
लोगों की जान के साथ खिलवाड़: मान्यता है कि ऐसा करने से मन्नते पूरी होती हैं और जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है वे ही ऐसा करते हैं. परम्परा के पीछे लोगों का मानना है की गाय में 33 कोटि के देवी देवताओं का वास रहता है और गाय के पैरो के नीचे आने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. देखा जाए तो आस्था के नाम पर यहां लोगों की जान के साथ खिलवाड़ भी किया जाता हैं. प्रत्येक वर्ष दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा के दिन मौत के खेल की यह अनूठी परंपरा निभाई जाती है.
अन्नकूट उत्सव के नाम से भी मनाया जाता है पर्व: मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे. सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी, तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा.
Disclaimer: तस्वीरें विचलित कर सकती हैं, इसमें किसी प्रकार की हिंसा या खून के दृष्य नहीं हैं. (Ujjain Unique Tradition on Govardhan Puja) (Govardhan Puja 2022) (Ujjain 300 year old tradition) (Cows runs over devotees)